सोलन : MBU स्टाफ की गलतियां भुगत रहे 8 हजार, अधर में लटका भविष्य

Spread the love

मानव भारती यूनिवर्सिटी के करीब 8 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। कमेटी ने लगभग 8 हजार छात्रों को डिग्री देने व सत्यापन देने के लिए फिलहाल मना कर दिया है। लगभग 3 साल से केस चलने के कारण मानव भारती यूनिवर्सिटी के छात्र पहले से ही डिप्रेशन में है। यह बता  स्टूडेंट वेलफेयर एसोसिएशन मानव भारती यूनिवर्सिटी (MBU) के प्रधान अमन आनंद ने कही।   उन्होंने बताया कि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों के उपरांत मानव भारती यूनिवर्सिटी के छात्रों को डिग्री, डीएमसी  इत्यादि देने के लिए कमेटी का गठन किया गया था।  कमेटी द्वारा छात्रों के सत्यापन, डिग्री व डीएमसी देने से पहले कुछ शर्त लगा दी गई। छात्र का डाटा HP-PERC  को भेजा गया हो। जो भी छात्र जिस प्रकार का कोर्स कर रहे हैं, वह HP-PERC द्वारा अप्रूव्ड हो। छात्रों का रिकॉर्ड ग्रीन लिस्ट में व डिस्क्लोजर लिस्ट में होना चाहिए। छात्रों का एग्जामिनेशन रिकॉर्ड उपलब्ध होना चाहिए। छात्र संगठन ने कहा  कि यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि कोर्स अप्रूव्ड है, यह तो छात्र को पता होता है।

मगर जो इसके अलावा जो शर्तें कमेटी द्वारा छात्रों के ऊपर लगा दी गई है वह गलत है।यूनिवर्सिटी द्वारा ये शर्तें जबरदस्ती लगाई गई है। क्योंकि ग्रीनशीट को मेंटेन करना, HP-PERC को डाटा भेजना, एग्जामिनेशन रिकॉर्ड मेंटेन करना, यह सारा कार्य एकेडमिक एडमिनिस्ट्रेशन का होता है ना कि छात्रों का। हैरानी की बात यह है कि इसे आधार बनाकर कमेटी द्वारा लगभग 8 हजार छात्रों को डिग्री देने व सत्यापन के लिए फिलहाल मना कर दिया है। लगभग 3 साल से केस चलने के कारण मानव भारती यूनिवर्सिटी के छात्र पहले से ही डिप्रेशन में है। अब इस नई समस्या के कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। उन्होंने कहा कि कमेटी द्वारा यूनिवर्सिटी की गलतियों को आधार बनाकर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का कोई हक नहीं है। छात्र संगठन की मांग है कि इन नियम व शर्तों को हटाकर छात्रों को डिग्री देने का कार्य किया जाए। इन सभी शर्तों को पूरा करने का काम किसी भी छात्र का नहीं है, इसके लिए दोषी अधिकारियों को सजा दी जाए न कि छात्रों को। 

   

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक