सचिवालय में श्रद्धांजलि देने को चार घंटे बाद मंजूरी मिलने से उखड़ा कर्मचारी संघ

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पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को वीरवार दोपहर बाद सचिवालय परिसर में भी श्रद्धांजलि दी गई। सचिवालय कर्मचारी संघ ने पार्किंग में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया। संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कार्यक्रम के लिए मंजूरी लेने के लिए चार घंटे का समय लगने पर रोष जताया। कहा कि वीरभद्र सिंह छह बार मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन का बहुत समय सचिवालय में बिताया। ऐसे में वे सचिवालय परिवार के सदस्य हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को सचिवालय में श्रद्धांजलि देते कर्मचारी।

सचिवालय के ऊंचे भवनों की नीवं भी उन्होंने रखी। आज उन्हें श्रद्धांजलि देने के कार्यक्रम को मंजूरी मिलने में चार घंटे का समय लगना दुखद है। कहा कि सचिवालय कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यालय का दरवाजा हर वक्त खुला रहता था। एक बार जब संघ का प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने गया तो प्रधान निजी सचिव सुभाष आहलुवालिया ने कहा कि मुख्यमंत्री व्यस्त हैं। जब वीरभद्र सिंह को संदेश दिया गया कि संघ के पदाधिकारी मिलने आए हैं तो उन्होंने एकाएक सभी को अंदर बुलाया।


संजीव शर्मा ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तब कहा था कि सचिवालय के असली मालिक तो आप लोग हैं। नेता तो पांच-पांच साल के लिए आते-जाते रहते हैं। उन्होंने कहा था कि मेरे कार्यालय में आने के लिए आप लोगों को किसी से भी अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। कहा कि सचिवालय में अवर सचिव, अतिरिक्त सचिव नियुक्त करने का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री को जाता है।

संजीव शर्मा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मुख्य सचिव और सचिवालय प्रशासन का श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मंजूरी देने पर आभार भी जताया। उधर, पार्किंग में सैकड़ों कर्मचारियों और अधिकारियों ने नम आंखों से पूर्व मुख्यमंत्री को अंतिम विदाई देते हुए उनके अस्थि कलश को पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर सहित कई कांग्रेस नेता भी मौजूद रहे। 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक