विदेश में नौकरी छोड़ गांव में बेमौसमी सब्जियां उगाई, कमाया नाम और पैसा, राष्‍ट्रस्‍तर पर मिला सम्‍मान

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अगर मेहनत दिल से हो तो मिट्टी भी सोना उगलती है। सुंदरनगर के पलोहटा के किसान संजय कुमार ने यह कहावत सार्थक की है। विदेश में नौकरी छोड़ने के बाद अपने पुश्तैनी कृषि के व्यवसाय को अपनाकर आज उस मुकाम तक पहुंचाया, जहां पर उनको केंद्र सरकार ने राष्ट्रस्तरीय पंडित दीन दयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया। संजय कुमार एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाकर कृषि के साथ पशुपालन भी अपनाया है। दुग्ध उत्पादन और भेड़ बकरियों से भी यह आय अर्जित करते हैं। इनके पास चार पॉलीहाउस और 10 बीघा जमीन है। एक महीने में संजय 50 से 60 हजार रुपये मुनाफा आसानी से कमाते हैं।

संजय कुमार एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाकर कृषि के साथ पशुपालन भी अपनाया है।

संजय कुमार बताते हैं कि उनके परिवार का पुश्तैनी काम कृषि था। लेकिन आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण वह विदेश में नौकरी करने चले गए। अफगाानिस्तान और दुबई में नौकरी के बाद वर्ष 2016 में जब वह घर लौटे तो कृषि को फिर से अपनाया। सुंदरनगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में उन्होंने इसके लिए संपर्क किया और पाॅलीहाउस के लिए प्रशिक्षण हासिल किया। अगस्त 2016 में पॉलीहाउस का काम शुरू किया।

संजय बताते हैं कि वह पॉलीहाउस में बेमौसी खीरा, शिमला मिर्च, टमाटर उगाते हैं। उनका एक पॉलीहाउस 504 स्कवेयर फीट का है, जबकि तीन अन्य जो पड़ोस के लोगों के हैं, जिनका वह संचालन कर रहे हैं, वह 560 स्कवेयर फीट हैं। संजय बताते हैं कि मेरे काम को देखकर पड़ोसियों ने यह पॉलीहाउस दे दिए थे, ताकि यहां जमीन बेहतर रह सके। संजय कुमार अपनी जमीन में कैबिज, गोभी, भिंडी, पत्ता गोभी, पालक, धनिया आदि की खेती करते हैं। वह इस खेती को पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से करते हैं और उनके द्वारा तैयार फसलें हाथों हाथ ही बिक जाती हैं और यह सेल सुंदरनगर और आ पास के इलाकों में होती है। कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के प्रभारी पंकज सूद बताते हैं कि संजय कुमार ने अपनी मेहनत और विभाग के सहयोग से कृषि का एक बेहतरीन मॉडल पेश किया है।

संजय कुमार बताते हैं कि उनके यहां तैयार गेहूं, चावल व मक्की की डिमांड दिल्ली में रहती है। वह हर बार इसकी सप्लाई ऑर्डर के तहत दिल्ली भेजते हैें और इसका अच्छा दाम उनको मिल जाता है। वह बताते हैं कि इस काम में उनका पूरा परिवार भरपूर साथ देता है। इसमें उनकी पत्नी चंद्रेश कुमारी, बेटे ऋषभ सकलानी, माता हिमा देवी, पिता भागमल शामिल हैं।

संजय कुमार कहते हैं कि उनके पास दो देसी गाय साहीवाल और बीटल नस्ल की बकरियां हैं। गाय से वह दिन में 12 लीटर तक दूध निकालकर बेचते हैं। इसके अलावा 20 से 25 बकरियाें से उनके मेमनों को बेचा जाता है, जिसके पांच से सात हजार रुपये तक मिल जाते हैं। उन्होंने बताया भेड़ों के मल और गाय के गोबर को वह खाद के रूप में अपने खेतों और पॉलीहाउस में ही इस्तेमाल करते हैं।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक