कल है साल का पहला सूर्यग्रहण, जाने इस दौरान क्या करें और क्या न करें

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साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को होगा। सूर्य ग्रहण भारत में 3 घंटे 25 मिनट तक का होगा। जो कि भारत में 21 जून रविवार को सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा। 12 बजकर 10 मिनट पर सूर्य ग्रहण अपने चरम पर होगा और 1 बजकर 49 मिनट पर ग्रहण खत्म होगा। ज्योतिर्विदों की मानें तक ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले यानी 20 जून को रात करीब 9 बजकर 25 मिनट से लगेगा। ग्रहण में सूतक काल काफी अहम माना जाता है।

ग्रहण का सूतक लगने के बाद कौन से काम वर्जित माने जाते हैं:–

सूतक काल के दौरान किसी भी तरह का नया काम या शुभ कार्य करने से परहेज करना चाहिए। घर मकान का निर्माण, वाहन की खरीदारी या शादी-विवाह की तैयारियों के बारे में ना सोचें।

ग्रहण का सूतक काल लगने के बाद नुकीली चीजों का इस्तेमाल करना अशुभ माना जाता है।

ग्रहण का सूतक काल लगने के बाद प्रकृति ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। यही कारण है कि इस दौरान पेड़, पौधों और पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। हालांकि तुलसी के पत्तों को पहले ही तोड़कर रख लें और पानी में भीगने दें। सूतक लगने के बाद यदि किसी को खाना परोसें भी तो उसमें तुलसी का पत्ता जरूर डालें।

ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन न करें। रोगी, वृद्ध, बालक और गर्भवती स्त्रियों को आवश्यकतानुसार भोजन और दवा देने में कोई दोष नहीं है।

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की घटना को देखने से भी बचना चाहिए। हो सके तो ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें। अगर आप ग्रहण देखती हैं तो गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक या मानसिक परेशानियां हो सकती हैं।

सूर्य ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र, सूर्य मंत्र, गुरु मंत्र, नारायण मंत्र का जप और ध्यान करना सर्वोत्तम माना गया है। ऐसा करने से सभी ग्रहों के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। सूर्य ग्रहण के होने बाद दान देने से आर्थिक प्रगति होती है।

लोगों की ऐसी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के दौरान पूजा पाठ और कोई भी धार्मिक कार्य नहीं करना चाहिए, मूर्तियों को स्पर्श करने से बचना चाहिए। कुछ भी खाने से बचना चाहिए. खाने -पीने वाली चीजों जैसे दूध, दही, घी और जल में तुलसी के पत्ते को डाल कर रखना चाहिए जिससे ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

सूर्य ग्रहण ख़त्म होने के बाद पवित्र नदी में या गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद पूजा पाठ करनी चाहिर और दान देना चाहिए। इससे ग्रहण का दुष्प्रभाव कम हो जाता है।

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