कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए प्रदीप हाब्बी ने बांगी गांव में तैयार किए सेब के 25 हजार पौधे

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कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब के उत्पादन करने के लिए सिरमौर जिला की  पझौता घाटी के गांव बांगी में सेब की नई किस्में की नर्सरी तैयार करके  34 वर्षीय युवा प्रदीप हाब्बी ने एक अनूठी मिसाल पेश की है । बिना किसी सरकारी सहायता से प्रदीप हाब्बी द्वारा विकसित पझौता नर्सरी फार्म में सेब की  नई किस्में के 25 हजार पौधे तैयार किए गए  है।  वर्तमान में करीब साढ़े तीन बीघा भूमि पर सेब की नर्सरी  तैयार की गई है जिनमें एम-9, एम-7, एमएम-106, एमएम-14 और एमएम-793 सेब की किस्में बिक्री के लिए तैयार है । जिसके लिए लोगों द्वारा बुकिंग करनी भी शुरू कर दी गई है और आगामी दिसंबर व जनवरी में सेब के पौधों को रोपण भी किया जाना प्रस्तावित है । इस कार्य के लिए इनके द्वारा 6 बीघा भूमि चिन्हित की गई है जिसे चरणबद्ध तरीके से केवल सेब की नर्सरी तैयार की जाएगी  ।
प्रगतिशील बागवान प्रदीप हाब्बी ने सेब की पौध तैयार करने की तकनीक बताते हुए कहा कि उनके द्वारा वर्ष 2017 में लैब में सेब की नई किस्म के एक इंच के टीशू कल्चर तैयार किए गए । इसके बाद सेब के पौधों को ं ग्रीन हॉऊस में लगाया गया जहां पर एक वर्ष में इन पौधों की ंलंबाई करीब तीन फुट हो गई  । तदोपरांत दूसरे साल में कलोनिंग करके सेब के रूट स्टॉक तैयार किए गए हैं । इनका कहना है कि सेब की यह नवीनतम किस्म समुद्र तल से करीब 6 हजार फुट की ऊंचाई तथा  केवल पानी वाली जगह पर कामयाब है और तीसरे साल इन सेब के पौधों में सैंपल के तौर पर फल आना आरंभ हो जाता है । कहतें हैं कि शिददत से यदि कोई कार्य किया जाए तो निश्चित तौर पर सफलता प्राप्त होती है । दस जमा दो की पढ़ाई पूर्ण करने के उपरांत प्रदीप हाब्बी सरकारी नौकरी की तलाश में समय बर्बाद करने की बजाए इन्होने कृषि और बागवानी को अपना व्यवसाय बनाया है । इनके द्वारा अपने पैतृक गांव जालग में वर्ष 2017 में तीन बीघा भूमि पर सेब का बागीचा तैयार किया गया है जिसमें आठ सौ विभिन्न सेब की किस्मों के पौधे लगाए गए है जिसमें गत वर्ष के सीजन के दौरान सैंपल के तौर 42 सेब की पेटियां और सात क्रेट तैयार हुए थे ।


प्रदीप हाब्बी का कहना है उद्यान विभाग सिरमौर द्वारा करवाए गए ज्ञानवर्धक भ्रमण के दौरान चिढ़गांव के धबास और रोहड़ू में सेब उत्पादन की तकनीक बारे जानकारी हासिल की गई । जिससे प्रभावित होकर इन्होने अपने घर पर सेब की बागवानी करनी आरंभ कर दी गईे । उन्होने बताया कि प्रदेश के निचले क्षेत्रों में सेब का उत्पादन करने के उददेश्य से उनके द्वारा वैज्ञानिक तरीके से नर्सरी तैयार की गई है ताकि किसान खेतीबाड़ी के साथ साथ बागवानी को भी अपनी आय का साधन बना सके । उन्होने बताया कि सेब के पौधों के लिए लोगों की डिमांड आनी आरंभ हो गई है और उनके द्वारा सेब के रूट स्टॉक की एक सौ रूपये तथा पौधे की कीमत अढाई सौ रखी गई है । इनका कहना है कि उनके द्वारा इस नर्सरी में पांच मजदूरों को स्थाई तौर रोजगार मिल रहा  है । इसके अतिरिक्त इन्होने सभी बेरोजगार युवाओं को सलाह दी है सरकारी नौकरी की तलाश में समय बर्बाद करने की बजाए सेब की बागवानी करें ताकि स्वाबलंबी बनकर दूसरों को रोजगार देने वाले बन सके ।

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