Third Eye Today News

नए संस्थानों को खोलने के मामले पर सत्तापक्ष और विपक्ष में हुई हल्की नोकझोंक

Spread the love

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीत सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही में प्रश्नकाल 11:00 बजे बिना किसी गतिरोध के शुरू हुआ।  प्रश्नकाल में नए संस्थानों को खोलने के मामले में दोनों पक्षों में हल्की नोकझोंक हुई। प्रश्नकाल में भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने पहला प्रश्न किया। उन्होंने कांगड़ा सहकारी बैंक में लोन की वन टाइम सेटलमेंट का मामला उठाया। सत्ती ने पूछा कि जिनका रोजगार नहीं चला और जो मुसीबत में हैं और जिनके कुर्की के आदेश जारी हो गए हैं, क्या उन्हें राहत देने का विचार होगा ।इस पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि वन टाइम सेटलमेंट के मामले 10 लाख रुपये से ऊपर के कर्ज लिए भी लागू रहेंगे। इससे ऊपर के मामले भी सेटल होंगे। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने पॉलिसी लाई तो कुछ ने फायदा उठाया और कुछ ने लाभ नहीं उठाया। ऐसे लोग जिनका  लोन 10 लाख रुपये या इससे ऊपर हो गया। गरीब लोग जो ऋणी हैं, उनके लिए विचार करेंगे कि उन्हें राहत मिले। यह नीति न केवल सहकारी बैंक, बल्कि राज्य कृषि सहकारी बैंक में भी लागू होगी। नियमों पर विचार करने के बाद सरकार इस पर फैसला लेगी।दूसरा प्रश्न नयनादेवी के भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने किया और कहा कि 1865 संस्थान बंद किए गए हैं। बहुत से संस्थान जरूरी हैं। हंसराज ने कहा कि उनके क्षेत्र में भी खोले जाएं।  इस पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह ने कहा कि जरूरत पर आधारित संस्थान ही खोले जाने चाहिए। महज अधिसूचना करना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए। केवल जरूरत आधारित काम होने चाहिए। रणधीर शर्मा, रीना कश्यप समेत कई संस्थानों को जरूरत के हिसाब से खोला गया है।

हमने 37 नए संस्थान आवश्यकता के आधारित खोले हैं।  मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि पिछली जयराम सरकार ने धड़ाधड़ संस्थानतो खोले और इन्हें खोलने का मकसद राजनीतिक था। स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई और संस्थान खोले गए। किसी के भी निर्वाचन क्षेत्र में जो भी जरूरत आधारित संस्थान खोलने की आवश्यकता होगी, उसे खोला जाएगा। सीएम ने कहा कि पहले शिक्षकों की नियुक्ति होगी, उसके बाद ही जरूरत आधारित संस्थान खोले जाएंगे।

 

 

मेरे लिए पूरा हिमाचल मायका और ससुराल: सीएम
सदन में सीएम ने चुटकी लेते हुए कहा- हंसराज पिछली बार विपक्ष में थे।  जब काम न हो तो घोर विपक्ष होता है। अब विपक्ष में हैं। वहीं जसवां-परागपुर  के भाजपा विधायक बिक्रम सिंह बोले – इतना निर्दयी जीजा मैंने नहीं देखा। हमारे क्षेत्र में संस्थानों को खोलने की जरूरत नहीं महसूस की जाती। फिर देहरा की विधायक कमलेश ठाकुर की ओर इशारा कर बोले- पता नहीं बहन जी आप बोलते भी हैं कि नहीं। इस पर सदन में खूब ठहाके लगे। सीएम बोले- व्यवस्था परिवर्तन ससुराल और मायके को देखकर नहीं किया जाता। प्रशासनिक फैसले करते हुए रिश्ते नहीं, जरूरत देखी जाती है। मुख्यमंत्री बोले- मेरे लिए पूरा हिमाचल मायका और ससुराल है। पूरे प्रदेश की जरूरतों को देखकर ही संस्थान खोले जाएंगे। इससे पहले हंसराज ने कहा कि केवल मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री के क्षेत्रों और देहरा में ही जरूरत आधारित संस्थान नहीं खोले जाने चाहिए।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक