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जाखू हनुमान मंदिर में 108 फीट ऊंची ध्वाजा स्थापित, सीएम सुक्खू ने पूजा-अर्चना के बाद किया शुभारंभ

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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हनुमान की 108 फीट ऊंची पताका की प्रतिष्ठा की और इसके बाद ध्वजारोहण किया। जाखू मंदिर में हनुमान की 108 फीट मूर्ति के साथ अब यह ध्वजा भी दूर से दिखाई देगी।हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को शिमला के ऐतिहासिक जाखू मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर उन्होंने मंदिर परिसर में 108 फीट ऊंची हनुमान ध्वाजा स्थापना समारोह में भी भाग लिया। इस दाैरान उनकी पत्नी व देहरा की विधायक कमलेश ठाकुर भी माैजूद रहीं।  जाखू मंदिर में हनुमान की 108 फीट मूर्ति के साथ अब यह ध्वजा भी दूर से दिखाई देगी।

इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जाखू मंदिर के प्रति प्रदेशवासियों की विशेष आस्था है। मंदिर का अपना विशेष इतिहास रहा है। यहां भगवान हनुमान की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है और प्रदेश सरकार इस मंदिर को आध्यात्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से और अधिक आकर्षक बनाने के लिए प्रयासरत है। मंदिर परिसर में भगवान श्री राम की प्रतिमा लगाने का भी कार्य प्रस्तावित है और वन संरक्षण अधिनियम से जुड़ी कुछ प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं पूरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि  मंदिर का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यहां श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग, बैठने की व्यवस्था और अन्य बुनियादी सुविधाओं में भी सुधार किया जाएगा तथा इस कार्य में पर्यावरण संतुलन का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।

 

जाखू मंदिर का इतिहास
जाखू मंदिर शिमला शहर की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। यहां 100 फीट ऊंचे खंभे  पर 30 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा ध्वज लगाया गया है। ध्वज में हनुमान का चित्र लगा है। ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी लाने के आकाश मार्ग से हनुमान हिमालय के लिए गए थे। ऐसा बताया जाता है कि जब हनुमान यहां से गुजर रहे थे तो यहां पर एक ऋषि तपस्या कर रहे थे । उनसे हनुमान ने द्रोणागिरी पवर्त और संजीवनी बूटी का पता पूछा। फिर मिलने का वायदा कर हनुमान यहां से चले गए। वापसी में देरी होने की वजह से ऋषि से नहीं मिल पाए और बाद में उन्हें साक्षात दर्शन दिए। तब इस स्थान पर स्वयंभू प्रतिमा प्रकट हुई। इसके बाद ऋषि ने हनुमान के मंदिर की स्थापना की।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक