AIIMS के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, सितंबर-अक्टूबर तक शुरू हो सकता है बच्चों का टीकाकरण

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AIIMS के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, सितंबर-अक्टूबर तक शुरू हो सकता है बच्चों का टीकाकरण FacebooktwitterwpkooEmailaffiliates एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि Publish Date:Thu, 24 Jun 2021 07:04 AM (IST)Author: Arun Kumar Singh एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को एफडीए अप्रूवल मिल चुका है और इस वैक्सीन को भारत में आने की अनुमति दी गई है। भारत बायोटेक का अप्रूवल मिलेगा तो हम 2-18 साल के बच्चों को वैक्सीन लगा सकते हैं। नई दिल्ली, एएनआइ। भारत में बच्चों के टीकाकरण को लेकर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने अहम जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि बच्चों में कोरोना की बीमारी बहुत हल्की होती है। हमें सबसे पहले बुजुर्गों और जिन्हें पहले से कई बीमारी है, उन्हें वैक्सीन लगाना चाहिए। बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को एफडीए अप्रूवल मिल चुका है और इस वैक्सीन को भारत में आने की अनुमति दी गई है। भारत बायोटेक का अप्रूवल मिलेगा तो हम 2-18 साल के बच्चों को वैक्सीन लगा सकते हैं। जैसे ही इसका अप्रूवल मिलेगा, वैसे ही हम बच्चों को वैक्सीन लगाना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि ट्रायल जल्द पूरा हो जाएगा और संभवत: लगभग 2-3 महीनों के फालोअप के साथ हमारे पास सितंबर तक डेटा होगा। उम्मीद है कि उस समय तक मंजूरी मिल जाएगी, ताकि सितंबर-अक्टूबर तक बच्चों को लगाने के लिए हमारे पास टीके होंगे। Ads by Jagran.TV उन्होंने कहा कि तीसरी लहर को अगर रोकना है तो ये हमारे हाथ में है। अगर हम कोरोना के नियमों का पालन करेंगे तो वायरस नहीं फैलेगा। मैं सबसे अपील करूंगा कि सभी कोरोना नियमों का पालन करें और जहां भी कोरोना के मामले ज़्यादा हो वहां लॉकडाउन लगाएं तथा सभी वैक्सीन लगाएं। नोवावैक्स जुलाई से शुरू करेगा बच्चों की वैक्सीन के लिए क्लिनिकल ट्रायल इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने जुलाई में बच्चों के लिए नोवावैक्स शॉट का क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बनाई है। पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कान्फ्रेंस में नोवावैक्स टीके के संदर्भ में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पाल ने कहा था कि नोवावैक्स वैक्सीन के प्रभाव संबंधी आंकड़े उत्साहजनक हैं। नोवावैक्स के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़े भी संकेत देते हैं कि यह सुरक्षित और अत्यंत प्रभावी है। उन्होंने कहा कि आज भारत के लिए इस टीके की प्रासंगिकता यह है कि इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीरम इंस्टीट्यूट इसका बच्चों पर भी परीक्षण शुरू करेगा।

नई दिल्ली: भारत में बच्चों के टीकाकरण को लेकर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने अहम जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि बच्चों में कोरोना की बीमारी बहुत हल्की होती है। हमें सबसे पहले बुजुर्गों और जिन्हें पहले से कई बीमारी है, उन्हें वैक्सीन लगाना चाहिए। बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को एफडीए अप्रूवल मिल चुका है और इस वैक्सीन को भारत में आने की अनुमति दी गई है।

भारत बायोटेक का अप्रूवल मिलेगा तो हम 2-18 साल के बच्चों को वैक्सीन लगा सकते हैं। जैसे ही इसका अप्रूवल मिलेगा, वैसे ही हम बच्चों को वैक्सीन लगाना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि ट्रायल जल्द पूरा हो जाएगा और संभवत: लगभग 2-3 महीनों के फालोअप के साथ हमारे पास सितंबर तक डेटा होगा। उम्मीद है कि उस समय तक मंजूरी मिल जाएगी, ताकि सितंबर-अक्टूबर तक बच्चों को लगाने के लिए हमारे पास टीके होंगे।

उन्होंने कहा कि तीसरी लहर को अगर रोकना है तो ये हमारे हाथ में है। अगर हम कोरोना के नियमों का पालन करेंगे तो वायरस नहीं फैलेगा। मैं सबसे अपील करूंगा कि सभी कोरोना नियमों का पालन करें और जहां भी कोरोना के मामले ज़्यादा हो वहां लॉकडाउन लगाएं तथा सभी वैक्सीन लगाएं।

नोवावैक्स जुलाई से शुरू करेगा बच्चों की वैक्सीन के लिए क्लिनिकल ट्रायल

इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने जुलाई में बच्चों के लिए नोवावैक्स शॉट का क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की योजना बनाई है। पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कान्फ्रेंस में नोवावैक्स टीके के संदर्भ में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पाल ने कहा था कि नोवावैक्स वैक्सीन के प्रभाव संबंधी आंकड़े उत्साहजनक हैं। नोवावैक्स के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़े भी संकेत देते हैं कि यह सुरक्षित और अत्यंत प्रभावी है।

उन्होंने कहा कि आज भारत के लिए इस टीके की प्रासंगिकता यह है कि इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीरम इंस्टीट्यूट इसका बच्चों पर भी परीक्षण शुरू करेगा।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक