Third Eye Today News

किसानों को कृषि ड्रोन पर नौणी विवि देगा प्रदर्शन विवि द्वारा दो ड्रोन खरीदे जाएंगे

Spread the love

किसानों को कृषि में आधुनिकीकरण दिखाने की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुये डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से दो ड्रोन खरीदेने जा रहा है। हाल ही में आईसीएआर के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (जोन-I), लुधियाना ने विश्वविद्यालय को दो कृषि ड्रोन स्वीकृत किए है। जहां एक ड्रोन विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशालय को दिया जाएगा, वहीं दूसरा ड्रोन विश्वविद्यालय के कंडाघाट स्थित कृषि विज्ञान केंद्र सोलन को दिया जाएगा। प्रत्येक ड्रोन के लिए 10 लाख रुपये और प्रदर्शनों के लिए अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई है। विश्वविद्यालय ने इन ड्रोनों की खरीदने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है और आने वाले समय में किसानों को खेतों में ड्रोन की उपयोगिता को प्रदर्शित करेगा।

हाल ही में यूनिवर्सिटी फार्म में एक ऐसे ही ड्रोन का प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान, संयुक्त निदेशक (संचार) डॉ. अनिल सूद, संयुक्त निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. राजेश कौशल, कार्यक्रम समन्वयक, केवीके सोलन डॉ. जितेन्द्र चौहान, सिल्वीकल्चर और कृषि वानिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. डीआर भारद्वाज, पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश भारद्वाज, डॉ अजय शर्मा, विस्तार शिक्षा निदेशालय, केवीके सोलन और घटक कॉलेजों के वैज्ञानिक शामिल रहे। वैज्ञानिकों ने ड्रोन प्रदर्शन में शामिल कंपनी के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की।

कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि कृषि में ड्रोन का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और यह कम समय में विभिन्न गतिविधियों को पूरा करके कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने में मददगार है। उन्होंने कहा कि कृषि ड्रोन का उपयोग मिट्टी और क्षेत्र के विश्लेषण के लिए किया जा सकता है और सेंसर लगाकर मिट्टी के विभिन्न मापदंडों जैसे नमी और पोषक तत्व की जानकारी भी ली जा सकती है।इस अलावा ड्रोन में लगे इन्फ्रारेड कैमरे प्रभावी फसल निगरानी और फसल के सही कटाई का सही समय का निर्धारण करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, यह कठिन इलाकों में बीजों को प्रसारित करने में मददगार हो सकते हैं।

   

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक