अर्की के मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी रत्न सिंह पाल को करीब छह हजार मतों से हराकर वीरभद्र सिंह को विजयी बनाया था। बता दे कि इस चुनाव में भाजपा ने दो बार के विधायक रहे गोविंद राम शर्मा का टिकट काटकर रत्न सिंह पाल को दिया था। कांग्रेस का एक धड़ा प्रतिभा सिंह को अर्की से प्रत्याशी बनाने के पक्ष में था, लेकिन पार्टी ने उन्हें मंडी संसदीय सीट से प्रत्याशी बना दिया है। ऐसे में स्थानीय कांग्रेस नेताओं के कंधों पर अर्की विधानसभा क्षेत्र को फतेह करने का जिम्मा रहेगा। हालांकि विगत में कांग्रेस के लिए ये सुरक्षित सीट रही है। अब तक हुए विधानसभा चुनाव में पांच बार कांग्रेस, चार बार भाजपा, एक बार निर्दलीय, एक बार लोकराज पार्टी व एक बार जनता पार्टी का विधायक बना है।
अर्की विधानसभा क्षेत्र में विधायक एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पहली बार उपचुनाव हो रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र ने इस हल्के से चुनाव लड़ा था। पूरे प्रदेश की नजर इस हलके पर थी, क्योंकि वीरभद्र सिंह पहली बार दूसरे जिले की सीट से चुनाव लड़ रहे थे।
उपचुनाव में भाजपा अपनी खोई सीट व कांग्रेस अपने गढ़ को बचाने के लिए जोर में जुट गई है। हालांकि दोनों दलों के नेता सीट जीतने के दावे कर रहे हैं, लेकिन अर्की के मतदाता किस दल के प्रत्याशी को आशीर्वाद देकर विधानसभा में भेजेंगे, इसका पता दो नवंबर को लग जाएगा। मंगलवार को कांग्रेस में सामूहिक इस्तीफे का नाटकीय घटनाक्रम सामने आया था बावजूद इसके कांग्रेस ने संजय अवस्थी को ही टिकट थमाया है। बुधवार शाम तक भाजपा ने इस सीट पर प्रत्याशी का निर्णय नहीं लिया था।
अर्की में कब, कौन व किस दल का रहा विधायक विधायक दल अवधि धर्मपाल ठाकुर कांग्रेस 1998-2003 धर्मपाल ठाकुर कांग्रेस 2003-2007 गोविंद राम शर्मा भाजपा 2007-2012 गोविंद राम शर्मा भाजपा 2012-2017 वीरभद्र सिंह, कांग्रेस 2017-2021
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