अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् नौणी विश्वविद्यालय इकाई ने विश्वविद्यालय द्वारा कोरोना काल में वसूली जा रही बेतहाषा फीस को लेकर सांकेतिक प्रदर्शन किया। फीस में न्युन्तम 50% कटौती को लेकर विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय कुलपति व कुलचिव को ज्ञापन भी सौंपा। प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य उमेश शर्मा ने बताया कि आज पूरा विश्व कोरोना महामारी के दौर से गुजर रहा है जिसमें भारत भी अछूता नहीं रहा है और इसका गहरा प्रभाव आर्थिक रूप से हिमाचल प्रदेश के गरीब किसान व बागवान परिवारों पर पड़ा है। क्यूंकि हिमाचल की लगभग 70% जनसंख्या कृषि, बागवानी व छोटे उद्योगों पर ही निर्भर रहते हैं और खासकर नौणी विश्वविद्यालय में लगभग 60 से 70 प्रतिशत छात्र इन्ही क्षेत्रों पर निर्भर रहते हैं। परन्तु इस वर्ष इन क्षेत्रों की स्थिति बहुत खराब है। दूसरी और देखते है कि नौणी विश्वविद्यालय में लगभग रु75000 एक सेमेस्टर की फीस है जिसमें सबसे ज्यादा ट्यूशन फीस है और विश्विद्यालय द्वारा फीस मात्र 6 से 7 हजार रुपये की कटौती की गयी है जो कि बहुत कम है। ऐसे में विद्यार्थी परिषद् ने मांग रखी है कि फ़ीस में लगभग 50 प्रतिशत की कटौती की जाए। विश्वविद्याल ने अभी हाल ही में जो फीस कम की थी उसमें कुछ शुल्क तो अलग अलग चीजों का माफ किया गया परंतु यट्यूशन फीस जो की सबसे ज्यादा है उसमें एक रुपये की भी कटौती नहीं की।इतनी अत्याधिक फीस में राहत अत्यावश्यक है क्योंकि इस महामारी के समय किसान परिवारों पर आर्थिक बोझ न पड़ सकें। साथ ही विद्यार्थी परिषद् ने फ़ीस को एक साथ ना लेकर उसे इंस्टॉलमेंट में ले, और रजिस्ट्रेशन की अवधि को तब तक बढ़ाया जाए जब तक फ़ाइनल फ़ीस स्ट्रक्चर तैयार न किया जाए। विश्वविद्यालय के तमाम छात्रों ने विद्यार्थी परिषद् के साथ मिलकर फ़ीस कम करने को लेकर चलाये अभियान में भी बढ़ चढ़कर भाग लिया है अब समय है कि प्रशासन फीस में कुछ और अधिक कटौती करे। विद्यार्थी परिषद् के साथ बात करते हुए विश्वविद्यालय कुलपति और कुलसचिव ने दो दिन में फीस जमा करने वाली तारिक को 3 तारिक से आगे बढ़ाने के लिए निटिफिकेशन जारी करने का आश्वसन दिया है और दस दिनों में छात्रों को नया फीस स्ट्रक्चर तैयार कर राहत प्रदान करने का आश्वासन दिया है।प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि निश्चित रूप से फ़ीस में कुछ और अधिक कटौती करने की कोशिश की जाएगी। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन निर्धारित समय अवधि में फ़ीस को कम करने और सभी मांगों को लेकर सार्थक निर्णय नहीं लेता है तो विद्यार्थी परिषद् आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगी।
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