सबके दिलों में राज करने वाली शूलिनी विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर सतीश आनंद की मां सुदेश आनंद का बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 96 वर्ष की थी। बड़ी संख्या ने लोगो ने अंतिम संस्कार उन्हें श्रदासुमन अर्पित किए। भगवान के चरणों में अपनी ज़िंदगी व्यतीत करने वाली स्व. सुदेश अपने परिवार के साथ 1947 में विभाजन के समय सोलन आई थी। उनके पिता क्षेत्र के नेता रहे। विभाजन के बाद वह अपने पति के साथ सोलन में तत्कालीन बघाट में आश्रय और आजीविका खोजने के लिए पहुंची थी।
सलोगड़ा शिविर में शरणार्थी के रूप में आए थे और वहां से एक छोटे से कपड़े की दुकान से कारोबार शुरू किया, जिसे अब आनंद काम्प्लेक्स के नाम से जाना जाता है। वह अपने पसंदीदा गायन और हंसमुख प्रदर्शन के लिए लोकप्रिय थी। शहर की मनमोहिणी ‘बीजी’ थीं, जिन्होंने उस जगह को एक गांव से लेकर सक्रिय और विस्तार वाले शहर तक बढ़ते देखा।
स्व. सुदेश अपने पीछे चार बच्चों- सतीश आनंद, अशोक आनंद, नीलम भसीन, भारती साहनी और संगीता साहनी और छह पोते-पोतियों को छोड़ गई हैं। शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीके खोसला ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने जीवन में परिवार के पालन में बहुत संघर्ष किया।