हिमाचल के शिमला मे मुसीबत बने 2500 लावारिस कुत्ते, बच्चों पर कर रहे हमले

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राजधानी शिमला में 2500 लावारिस कुत्ते शहरवासियों के लिए मुसीबत बन गए हैं। आए दिन यह लोगों को काट रहे हैं। स्कूली बच्चों पर यह ज्यादा हमलावर हो रहे हैं। हालत यह है कि हर माह शिमला शहर से कुत्तों के काटने के 40 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। नगर निगम राहत दिलाने के नाम पर सिर्फ इनकी नसबंदी तक सीमित है। साल 2006 से निगम लगातार इनकी नसबंदी कर रहा है लेकिन इनकी संख्या घटने की बजाय बढ़ती जा रही है। शहर के तकरीबन सभी वार्डों में लावारिस कुत्तों का आतंक है। लेकिन लोअर बाजार, सब्जी मंडी, मालरोड, विकासनगर, न्यू शिमला, खलीनी, कृष्णानगर, लक्कड़ बाजार, संजौली, कसुम्पटी, बालूगंज क्षेत्र में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाके मालरोड और रिज मैदान पर सुबह से लेकर देर रात तक लावारिस कुत्तों के झुंड घूमते रहते हैं। यह शहरवासियों के साथ सैलानियों को भी काट रहे हैं।

स्कूली बच्चों पर इनके हमले बढ़े हैं। ऐसे में अभिभावकों को बंदरों के साथ साथ अब लावारिस कुत्तों से भी बच्चों को बचाना पड़ रहा है। हाल ही में विकासनगर में सात साल की बच्ची को कुत्ते ने नोच लिया था। न्यू शिमला में स्कूली बच्चे के चेहरे को लावारिस कुत्ते ने लहूलुहान कर दिया था। नगर निगम के वेटरनरी पब्लिक हेल्थ ऑफिसर डॉ. नीरज मोहन ने बताया कि जिन जगहों से लावारिस कुत्तों के काटने की शिकायतें आती हैं, वहां तुरंत टीमें भेजी जाती हैं। लोग नगर निगम की हेल्पलाइन सेवा 1916 पर शिकायत कर सकते हैं। 16 साल में 10 हजार, हर साल 450 कुत्तों की नसबंदी नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार 16 साल में अब तक 10 हजार लावारिस कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है।

   

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक