हिमाचल की राजधानी में चरमराई सफाई व्यवस्था, गिरी स्वच्छता रैंकिंग

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हिमाचल की राजधानी में चरमराई सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के मकसद से शनिवार को उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया तथा आयुक्त नगर निगम के माध्यम से ज्ञापन दिया गया। इस प्रदर्शन में जगमोहन ठाकुर, सोनिया, दीपिका, अमित, विनोद, अनिल ठाकुर, संजीव, नीतीश राजटा, आशा, सुमित, समीर,  फालमा चौहान, ओंकार शाद आदि ने भाग लिया। आरोप है कि शहर के प्रत्येक वार्ड में जिस प्रकार से नगर निगम द्वारा सफाई की जानी चाहिए वह नही हो पा रही है। इस कारण  शहर के नाले व सड़क के किनारे कूड़ा करकट से भरे पड़े हैं। शहर के साथ लगते कृष्णा नगर के नाले इसका ज्वलंत उदाहरण है। 

सरकार की नीतियों के कारण भर्ती पर रोक के चलते नगर निगम में कर्मचारियों की भारी कमी है। नगर निगम में आज़ादी से पूर्व 472 पद स्वास्थ्य विभाग में सफाई कर्मचारियों के स्वीकृत थे, इसमे 245 से अधिक पद खाली पड़े हैं। गत 20 वर्षों से सरकार द्वारा भर्ती पर रोक लगाने के कारण इन पदों को नही भरा जा रहा है। मौजूदा में शिमला शहर की आबादी में करीब तीन गुणा से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। एक ओर सरकार अपने राजनीतिक हित साधने के लिए वार्डों की संख्या बढ़ाकर 41 कर दी और दूसरी ओर सरकार द्वारा नगर निगम में कर्मचारियों की भर्ती पर करीब दो दशकों से पूर्णरूप से रोक लगा रखी है। फलस्वरूप जहाँ कम से कम 15 से 20 सफाई कर्मचारी एक वार्ड में होने चाहिए वहां केवल 2 से 6 सफाई कर्मचारी ही वार्ड का सफाई का जिम्मा संभाले हुए हैं इस कारण शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, शहर की स्वच्छता की रैंकिंग गिर गई है।

  

सरकार की नीतियों के चलते आज पानी, सफाई व अन्य मूलभूत सेवाओं के निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके चलते सेवाओं की दरों में भारी वृद्धि कर जनता पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। शहर में कूड़ा उठाने की फीस में गत 5 वर्षों में दोगुना से अधिक वृद्धि की गई है। वर्ष 2017 में जो कूड़ा उठाने की फीस की घरेलू दरे 40 रुपये थी  जो बढ़ाकर 107 रुपये प्रति माह कर  हैं। और वर्तमान नगर निगम ने 10 प्रतिशत की प्रति वर्ष वृद्धि की नीति बना रखी। एक ओर शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और दूसरी ओर सरकार की नीतियों के कारण जनता पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। चेतावनी दी गई है कि तुरंत कदम नहीं उठाया गया  तो शिमला नागरिक सभा आंदोलन को व्यापक करेगी। 

 

ये है मांगे   1. कूड़े उठाने की दरों में कई गई वृद्धि वापिस लो तथा कूड़ा उठाने की फीस में हर वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि की नीति को समाप्त करो। 2. नगर निगम में रिक्त पड़े सभी पदों में नियमित भर्ती,तथा शहर में सफाई व्यवस्था को सुचारू करने के लिए कम से कम 20 सफाई कर्मचारी तैनात हो।

3. शहर के सभी नालों को सफाई की जाए तथा उनको पक्का किया जाए। 4. SEHEB में भर्ती कर्मचारियों को नगर निगम में नियमित नियुक्ति प्रदान करो। 5.कोरोना काल मे कूड़ा उठाने के बिल मुआफ़ करो और सरकार नगर निगम को इसके लिए राशी प्रदान करे। इस मांगपत्र के माध्यम से आग्रह किया गया है कि उपरोक्त माँगो पर तुरन्त अमल कर शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करें और शहर की जनता को राहत प्रदान करें। यदि नगर निगम समय रहते शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक