सोलन के मिडिल स्कूल कथेड़ की हैडमास्टर सुनीता को राज्य शिक्षक सम्मान
सोलन शहर से सटे मिडिल स्कूल कथेड़ की हैडमास्टर सुनीता कुमारी को (टीजीटी वर्ग) में राज्यस्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। वह अपना अधिकतर समय बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित है। वर्ष 2017 में स्थानीय लोगों के अनुरोध पर मिडिल स्कूल कथेड़ के हैडमास्टर के रूप में कार्यभार संभाला तो उस समय स्कूल की दशा बहुत दयनीय थी। यह स्कूल महिला मंडल के कमरे व निजी भवन के कमरे में चल रहा था। गर्मी और बरसात के समय बच्चों और यहां कार्यरत स्टॉफ को मुश्किल होती थी। स्कूल के पास अपना कोई सामान नहीं था। उन्होंने अपने पैसों मेज व कुर्सी डोनेट की। साथ ही बच्चों के लिए स्वच्छ पेयजल मिले, इसलिए पेयजल टैंक भी डोनेट किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए बच्चों को ड्रेस उपलब्ध करवाई। शिवालिक बाईमेटल कंपनी से मिलकर स्कूल के लिए एक शैड बनवाया और विभाग से यहां स्कूल का भवन बनाने के लिए पत्राचार किया। विभाग को जब यहां की वस्तुस्थिति का पता चला तो विभाग द्वारा नया भवन बनाने के लिए नौ लाख पैंतालिस हजार की राशि स्वीकृत हुई,जिसका कार्य चल रहा है। समाज से प्रताडि़त व शिक्षा से वंचित बच्चों को भी स्कूल में प्रवेश दिया,ताकि उनकी शिक्षा जारी रह सकें। इसके अलावा कैलाश मानव सेवा संस्था उदयपुर की पिछले 7 वर्षों से जुड़ी है। यह संस्था दिव्यांग बच्चों का निशुल्क आपरेशन करती है। वह हर वर्ष इस संस्था को ऐसे तीन से चार बच्चों के ऑपरेशन का खर्च दे रही है।
जन्म व शिक्षा
सुनीता कुमारी का जन्म 6 मार्च 1967 को कंडाघाट उपमंडल के गांव टिक्करी में एक निर्धन परिवार में हुआ। उनके पिता स्वर्गीय संतराम मिस्त्री काकार्य करते थे और माता नारायणीदेवी गृहणी थी। वह शिक्षा की अहमियत से भलिभांति परिचित थे और उन्होंने सायरी घाट के प्राथमिक स्कूल में अपनी बेटी का दाखिला करवाया। सुनीता की भी पढऩे में रूचि थी और इसके बाद दसवीं की परीक्षा उत्तीण की। उन्होंने जेबीटी शिक्षक के रूप में सरकारी सेवा में प्रवेश किया और सोलन जिला के डेढ़ दर्जन से अधिक स्कूलों में अपनी सेवाएं दी।उनके दो बेटे दिवेश वमनीष जो मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत है। साथ ही वह अपने पैतृक गांव में स्थित हाई स्कूल बशोल में अपनी सेवाएं दी। इस स्कूल में बच्चों का पढ़ाई के प्रति रूझान बढाने के लिए 2016 से अपने स्वर्गीय पिता स्वर्गीय संतराम के नाम से 1100 रुपए की छात्रवृति शुरू की है। सुनीता कुमारी ने बताया कि इस पुरस्कार के लिए चयनित होने से उनके हौसले को उड़ान मिली है। अब वह पहले से ज्यादा उर्जा के साथ स्कूली बच्चों और समाजिक कार्यों को गति प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि दिव्यांग और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करना उनकी प्राथमिता रहेगी।