शिमला में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के साथ रचनात्मक बैठक
शिमला में मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के वन, राजस्व एवं परिवहन मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में वन अधिकार अधिनियम 2006 के कार्यान्वयन पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि संदीप मिन्हास पीपल फॉर हिमालयन डेवलपमेंट,विधायक अनुराधा राणा (लाहौल-स्पीति) और हिमाचल प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष विद्या नेगी उपस्थित रहीं।
बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने मंत्री को बताया कि बंजार उपमंडल के 147 गांवों के सामुदायिक वन अधिकार दावे 2023 से लंबित हैं, जबकि 24 गांवों के पट्टे मामूली सुधार के बावजूद अब तक जिला स्तर पर अटके हुए हैं।
प्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि कई स्थानों पर वन अधिकार समितियां सक्रिय नहीं हैं और अधिकारियों के प्रशिक्षण की कमी के कारण दावा प्रक्रिया धीमी हो रही है। न्यायालय में चल रही बेदखली कार्यवाहियों से भी समुदायों में भय और भ्रम का माहौल बना हुआ है।
मंत्री जगत सिंह नेगी ने सभी चिंताओं को गंभीरता से सुना और कहा कि सरकार व्यक्तिगत वन अधिकार को भी प्राथमिकता दे रही है ताकि पात्र लोगों को उनका हक मिल सके। साथ ही उन्होंने कहा कि सामुदायिक वन अधिकार की प्रक्रिया भी समानांतर रूप से चलाई जाएगी।
उन्होंने जानकारी दी कि किन्नौर, लाहौल और पोंग डैम क्षेत्रों में अब तक करीब 1,000 पट्टे जारी किए जा चुके हैं, और राज्य सरकार जल्द ही राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई एवं जिला इकाइयां स्थापित करेगी ताकि अधिनियम का प्रभावी रूप से कार्यान्वयन हो सके।
मंत्री ने विभाग को निर्देश दिए है कि
एफआरसी के सदस्यों के लिए नियमित प्रशिक्षण आयोजित किया जाए, और दावेदारों को गलत जानकारी देने या पैसे की मांग करने वालों पर भी सख्त कार्रवाई की जाए। इन्होने कहा कि कठिनाई झेल रहे लोग अपने एसडीएलसी से संपर्क करें ताकि उनके दावे शीघ्र निपटाए जा सकें।
मंत्री ने सिविल सोसाइटी और एनजीओ के निरंतर सहयोग की सराहना की और कहा कि उनके प्रयासों से एफआरए के तहत समुदायों को वन संरक्षण और आजीविका में सशक्त बनाया जा सकता है।
बैठक के अंत में विधायक अनुराधा राणा और विद्या नेगी ने भी कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिन्हें मंत्री जी ने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया है।
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