लॉकडाउन में प्राईवेट गाड़ियों वाले सवारियां ढोकर कूट रहे चांदी

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नाहन । लॉकडाउन के दौरान प्राईवेट गाड़ियों वाले ग्रामीण क्षेत्रों से सवारियां ढोकर खूब चांदी कूट रहे हैं जिससे प्रदेश सरकार को लाखों रूपये का चूना लग रहा है । बता दें कि प्रदेश में गत 21 मार्च से लॉकडाउन के कारण सभी बसें बंद है और इस दौरान बिमार व्यक्तियों के लिए दवा व अन्य आवश्यक सामान लाने के लिए गांव के लोगों को गाड़ी हायर करके सोलन अथवा राजगढ़ जाना पड़ता है जिसके एवज मे उनको भारी भरकम रकम अदा करनी पड़ रही है और लोगों की मजबूरी देखकर  प्राईवेट गाड़ी वाले इसका खूब फायदा उठाते हैं ।

प्रभावित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रासूमांदर व पझौता क्षेत्र से राजगढ़ अथवा सोलन जाने के लिए प्राईवेट गाड़ी के मालिकों द्वारा क्रमशः 25 सौ  और दो हजार रूपये की राशि वसूल की जाती है । इसी प्रकार राजगढ़ से सोलन 15 सौ रूपये, राजगढ़ से नौहराधार क्षेत्र के लिए दो से तीन हजार, राजगढ़ से केवल 13 किलोमीटर दीदग अथवा कुड़िया के लिए पांच सौ रूपये किराया लिया जाता है । गौर रहे कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत पंजीकृत निजी वाहन का इस्तेमाल टैक्सी के रूप में नहीं किया जा सकता है जिसके लिए विशेष परिस्थिति में परिवहन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है ।  सबसे अहम बात यह है कि राजगढ़ प्रदेश का एक मात्र ऐसा शहर है जहां पर कोई न ही कोई टैक्सी यूनियन है और न ही टैक्सी स्टैंड। शहर की खाली जगह पर प्राईवेट गाड़ियों को जमघट लगा रहता है। यहीं नही राजगढ़ शहर के किसी भी स्थान पर परिवहन विभाग द्वारा कोई टैक्सी रेट और टैक्सी नंबर  प्रदर्शित नहीं किए गए है । जिस कारण लोगों को आवश्यकता पड़ने पर  मजबूरन प्राईवेट गाड़ी को हायर करना पड़ता है । सबसे अहम बात यह है कि प्राईवेट गाड़ी वालों को सवारियां ढोने पर किसी प्रकार का  टैक्स अदा नही करना पड़ता है । इसी कारण लोग प्राईवेट नंबर लेकर गाड़ी का सवारियों को ढोने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ।

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी नाहन से जब इस बारे पूछा गया कि प्राईवेट गाड़ी धारकों द्वारा अपने वाहन का प्रयोग टैक्सी के रूप में किया जा रहा है । जिस पर उन्होने बताया कि अभी तक उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है । राजगढ़ शहर में पंजीकृत टैक्सियों की संख्या बारे जब पूछा जाता है तो उनके कहा  है कि  रिकार्ड चैक करना पड़ेगा ।

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