मिस्त्री का बेटा बना “हाटी समुदाए का’’ मसीहा

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आजादी के 75 वर्ष पूरा देश अमृत महोत्सव का उत्सव मना रहा है। ऐसे मे उन लोगो को नमन करने का वक्त आ गया है जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों को तोड़ने और खुले आसमान में साँस लेने के लिए अपने देशवासियों के लिए प्राण तक दे दिए। विश्व के सबसे लोकप्रिय नेतृत्व और भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेत्रत्व में देश आज विश्व को पछाड़ने में लगा है। और इसमे दो राहे नही कि आज विश्व में भारत की साख बनी है। जब हिंदुस्तान आगे बढ़ रहा है, इसका मतलब सीधा सा है कि हिंदुस्तान का हर शेत्र, गाँव, कस्बा , शहर, इंसान तरक्की कर रहा है। यदि यह बात सही है तो आज हिंदुस्तान का हर गाँव, हर शहर, हर कस्बा, आगे बढ़ रहा होगा। परंतु यदि ऐसा होता तो आजादी के 75 साल पूरे होने का जशन हम कुछ दिनो में मनाने जा रहे है उससे साफ होना चाहिए कि हाँ हम सही में आज़ाद हुए। आज मै समाज के कुछ एसे पहलुओ को छूना चाहूँगा जो शायद समाज के कुछ लोगो को पीड़ा दे सकता है। किस प्रकार राजनेताओं ने सिर्फ वोट बैंक के लिए उपयोग किया एक समुदाय को । जिन्होने देश के हर कोने के विकास का वादा समाज के लोगो के साथ किया था और हम साठ साल तक सुनते भी आए थे।


मेरा अपना मत हमेशा से समाज में हो रहे आरक्षण के खिलाफ रहा है। क्योकि आरक्षण की आड़ में जो भारत के सविधान निर्माता डॉ भीम राव अंबेडकर को भी सशय था, कि समाज में एक ऐसी खाई पैदा हो जाएगी जो आने वाले समय में समाज को बांटने का काम करेगी , इसलिए समाज में आरक्षण को सिर्फ शुरुआत के 10 सालो तक कुछ समाज में पिछड़ी जातियो को दिया जाएगा और 10 वर्षो के बाद इसे आर्थिक आधार पर किया जाएगा। परंतु आज सिर्फ 10 साल नही 100 साल भी पूरे हो जाएंगे लेकिन आरक्षण की में राजनीति करते रहेंगे और जिन पिछड़ो के लिए यह आरक्षण शुरू किया गया था वह आज कोसो दूर है। समाज में कई ऐसे उदाहरण है जो आरक्षण का फायदा उठा कर एक ही परिवार से चार चार आईएएस बन गए परंतु वह गरीब, पिछड़ा आज भी अपनी बारी का इंतजार करता गया। सरकार ने कुछ साल पहले क्रीमी लेयर की बात कही थी परंतु कुछ ऊंचे पदो पर बैठे आरक्षण समर्थन लोगो ने इसको लागू नही होने के लिए दिन रात एक कर दिया।
इस मुदे को उठाना मेरा आज का मकसद नही, कभी और बार चर्चा करेंगे, मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि यदि आरक्षण जरूरी है तो किसको। ऐसा ही सवाल पिछले जब से मैंने भी हौश संभाला है तब से अपने आप से पूछ रहा हूँ, और यही सवाल पूछ रही थी हिमाचल प्रदेश के सबसे पिछड़े तबके और क्षेत्र के हाटी समुदाय की जनता। यदि समाज में आरक्षण जरूरी है तो किसको। सिरमौर की पिछड़ी जनता अपने उस मसीहा को ढूंढ रही है जो उनको उनका हक दिलाये।
आज मै आप सभी का ध्यान हिमाचल प्रदेश को देश और विश्व के मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले और हिमाचल निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार के जन्मस्थान की तरफ दिलाना चाहूँगा। कहते है कि डॉ परमार ने प्रदेश की जनता के लिए बहुत कुछ किया और हिमाचल प्रदेश को एक नई पहचान दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, सिर्फ छौड़ गए तो अपने सिरमौर वासियो को जिनको आज हिमाचल प्रदेश के कोनो कोनो में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है। आखिर हिमचल प्रदेश के हाटी समुदाए को मलाल क्या है उस पर प्रकाश डालने कि कोशिश करते है।


कुछ साल पहले तक उत्तर प्रदेश का हिस्सा होने वाला जौनसार बाबर जो आज उत्तराखंड की राजधानी देहारादून का पिछड़ा क्षेत्र है और सिरमौर जिल्ले का गिरिपार का क्षेत्र किसी जमाने में सिरमौर की रियासत का हिस्सा था । जिसका कार्ये “कोटी” नामक स्थान से देखा जाता था। लोगो का रहन -सहन, खान- पान, शादी विवाह , रस्मों रिवाज, और संस्कृति की झलकिया मिलती जुलती थी और आज भी जोनसार- बाबर और ट्रांसगिरी यानि गिरिपार यानि हाटी समुदाए की रिश्तेदारी आपस में होती है। बस फर्क सिर्फ इतना पड़ा कि जब 1964-65 जो सर्वेक्षण हुआ उसके तहत 1968 टोंस नदी आधार मान कर जोनसार बाबर को जनजाति क्षेत्र घोषित कर दिया गया और सिरमौर के हाटी समुदाय की रिपोर्ट जिसे 1979 में केंद्र को भेजी थी । जिसमे साफ साफ लिखा गया था इस समुदाए और क्षेत्र को क़बायली क्षेत्र घोषित करने की जो शर्ते जरूरी है वह सभी शर्ते पूरी है। परंतु आजादी का हम 75 वां साल गिराह मनाने जा रहे है परंतु सिर्फ हाटी समुदाए की सिर्फ फाइल बनती गई और दबती गई।
आखिर हम हाटी क्षेत्र के लोग इस जनजाति दर्जे की मांग क्यो कर रहे है। इस पर प्रकाश डालने के सिवाए हमारे पास कोई चारा नही। हाल ही में प्रदेश के एक अखबार ने हिमाचल प्रदेश के गिरिपार क्षेत्र की कुछ कुरुतियों को परमुखता से उठाया, चाहे जाने अनजाने में उस खबर की सत्यता सिर्फ कुछ ही हो , परंतु धुंवा वही उठता है जहां आग होती है। मैंने उस खबर की सत्यता पर कडा संज्ञान लिया। एक बहुत ही इंग्लिश चैनल सीएनएन -आईबीएन ने कुछ वर्ष पहले हाटी समुदाए की पोलिएंडरी प्रथा पर एक डॉक्युमेंट्री तैयार की और उसे अपने चेनलों में परमुखता से उठाया। 31.08.2002 को देश के एक समाननीय चेनल ज़ी न्यूज़ ने अपनी एक डॉक्युमेंट्री में साफ साफ दर्शाया गया था कि सिरमौर जिले के खास तौर से जितना भी गिरि पार क्षेत्र आता है आज भी पोलिएंडरी और पोलिगामी जैसी कुरुतिया आज भी मोजूद है और उसके कई कारणो को निचोड़ कर यदि देखा जाए तो सबसे बड़ा कारण आर्थिक आओर सामाजिक रूप से पिछड़ा ही माना जाता रहा है। आर्थिक रूप से पिछड़े होने के कारण आज इस क्षेत्र से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है और नाहन, सोलन, शिमला के बस स्टैंड पर अपनी आजीविका चलाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
ऐसा नहीं है कि इस मुद्दे को उठाने के लिए हिमाचल से कोई नेता नहीं मिला। हिमाचल पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष माननीय प्रेम कुमार धूमल जी ने 19991 में जेबी लोकसभा हमीरपुर से सांसद थे इस मुदे को देश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाया। परंतु जब 2002 में इस विधेयक को विधानसभा में पारित करना था हिमाचल प्रदेश के जिल्ला सिरमौर के पांचों विधायक विधानसभा से वाक आउट कर गए। उसके बाद डॉ धनी राम शांडील ने इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया। परंतु हाटीयों का मसीहा कौन होगा, यह प्रश्न आज भी हाटी समुदाए के लोगो के लिए गर्दिश के पन्नो में शामिल था । हाटी क्षेत्र के भोले भले लोगो को यह बात जरूर सता रही होगी कि किन्नौर को जनजाति का दर्जा दिलाने के लिए पूर्व आईएएस और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्री टी सी नेगी जी वहाँ के मसीहा बने। गद्दी समुदाए को उनका हक़ दिलाना मे श्री शांता कुमार जी पूर्व मुख्यमंत्री उनके मसीहा बने। परंतु हाटी समुदाय का मसीहा कौन बनेगा यह अतीत का प्रशन था ।
सिरमौर जिल्ले का यह पिछड़ा क्षेत्र शिमला संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है और ऐसे में इस क्षेत्र के लोकसभा सांसद और विधायक की जिम्मेवारी दुगनी हो जाती है। इस पिछड़े क्षेत्र में जो तहसीले आती है उसमे पोंटा साहिब का कुछ क्षेत्र, तहसील कमरौउ, तहसील शिल्लाई, तहसील रेणुका, संघडाह आदि क्षेत्र आते है। ऐसा नहीं कि इस क्षेत्र से कोई बड़ा नेता नहीं रहा हो। परन्तु इस मसले को अमली जामा पहुचाने का मादा किसी में नहीं था यह एक कड़वी सच्चाई भी है। और एक सच्चाई यह भी है कि ज़्यादातर राज इस क्षेत्र पर, हिमाचल और केंद्र में देश कि सबसे पुरानी पार्टी काँग्रेस ने ही किया है। हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश के निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार भी (1952 से जनवरी 1977) इसी क्षेत्र से चुन कर विधानसभा पहुंचे। 1952 से आज तक जब भी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए लोगो ने अपने प्रतिनिधि इस उम्मीद से चुने की उनको भी न्याय मिलेगा। 1962 से 1977 तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधि करने का मोका सान्सद प्रताप सिंह (काँग्रेस) को मिला। 1977 से 1980 तक श्री बालक राम (जनता दल) से सांसद रहे , 1980 से 1999 तक जिस प्रकार हिमाचल में वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय वीर भद्र सिंह को ज्यादा मोको पर सता दी वही इस पिछड़े क्षेत्र ने भी अपने सांसद के रूप मे स्व श्री के डी सुल्तान पूरी को देश की सबसे बड़ी पंचायत में चुन कर भेजा। परंतु प्रदेश की भोली भली जनता के हाल सिर्फ आश्वास्न लगे। न राजा का साथ मिला नही उनके बजीर का। लोगो को वोट बेंक की तरह उपयोग किया गया। इसी प्रकार देश और प्रदेश के प्रथम चुनाव के बाद भी इन चुनाव क्षेत्र पर काँग्रेस का दबदबा रहा, जिसमे मुख्यमंत्री से लेकर कई केबीना मंत्री तक नेता चुन कर जाते परंतु चुन कर जाने के बाद नेता मस्त और जनता प्रस्त हो जाती।
पूर्व में शिमला संसदीय क्षेत्र की कमान एक जुझारू सांसद श्री वीरेंद्र कश्यप के हाथो रही और उन्होंने समय समय पर हाटी समुदाय की आवाज लोकसभा में उठाया, और उनके प्रयासो से इस मुदे को नई संजीवनी मिली है। हिमाचल में माननीय धूमल जी के नेत्रत्व में काम कर रही थी उन्होने हाटी समुदाय का एक प्रतिनिधिमण्डल तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन से मिलाया था। जिसका नतीजा यह हुआ कि हिमाचल में इस समुदाय पर एक अलग से सर्वे किया गया जिसका जिम्मा हिमाचल प्रदेश विश्वविधायल में प्रोफेसर को दिया गया। और वह रिपोर्ट आज राज्य सरकार ने केंद्र को भी सौंप दी है। परंतु रिपोर्ट को फिर राजनीति कि अंगेठी में जलना पड़ेगा। क्योकि इस पिछड़े क्षेत्र कि कुछ 19 पंचायतों को इससे बाहर रख दिया है। और हैरानी तब होती है जब सता पक्ष के लोग इस पर प्रशन उठाते रहे और राजनीति करते रहे । जब रिपोर्ट बन रही थी तब शायद सता के नशे में कहीं खोये होंगे।
प्रश्न साफ था क्या सांसद वीरेंद्र कश्यप बनेगे , हाटी समुदाए के मसीहा। पिछले कुछ दीन पहले माननीय सांसद श्री वीरेंद्र कश्यप के नेत्रत्व में शिल्लाई के युवा विधायक श्री बलदेव तोमर और पच्छाद के युवा विधायक श्री सुरेश कश्यप, हाटी समुदाय के सदस्य श्री कुन्दन सिंह शास्त्री आदि का एक परतिनिधिमंडल देश के प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, हिमाचल के एक मांत्र मंत्री व स्वास्थ्य मंत्री, जनजाति मामलो के मंत्री से दिल्ली में जाकर मिले और इस मुद्दे को विस्तार से उठाया। हाल ही में मुझे हाटी समुदाय कि एक बैठक में माननीय सांसद से मिलने और चर्चा करने का मोका मिला। और उनकी पीड़ा साफ नजर आती है। क्योकि अभी पिछले 2 सालो मे कई बार इस मामले को लोकसभा में उठा चुके है।
प्रश्न यही उठता है कि क्या हाटी समुदाए को उनका हक दिल्लाने में जिस जान से सांसद और उनकी टीम लगी हुई है । क्या देश के यशस्वी प्रधानमंत्री देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र को उनका हक देने में सहयोग करेंगे या फिर हर साल कि तरह सिर्फ चुनावी घोषणा पत्र बन कर रह जाएगा।
आजाद देश में प्रधान मंत्री का नारा है कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास। जहाँ पूरा देश अमृत महोत्सव मनाने का कार्यक्रम बना रहे है इस फेसले से देश का सबसे पिछड़ा क्षेत्र गिरी पार को मुख्य धारा में आने का एक सु अवसर प्राप्त होगा।
अंत में कुछ शब्दों के साथ जहाँ प्रदेश में यशवंत सिंह परमार जी का नेतृत्व मिला, वही कई वर्षो तक सता में रहने वाले वीरभद्र सिंह का सानिध्य भी प्रदेश को मिला। उसके बाद शांता जी का युग आया और धूमल जी ने भी प्रदेश को नेतृत्व दिया तथा हाटियों की आवाज हर मोर्चे पर उठाने का प्रयास किया ।
अब वक्त बदल गया है देश में डबल इंजन की सरकार है जहाँ केंद्र में मोदी जी का मजबूत नेतृत्व, वहीं प्रदेश में जय राम ठाकुर जी जेसा आम आदमी प्रदेश के विकास को दिशा देने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे है।
हाटियों के 55 वर्षो के शांति पूर्ण संघर्ष की कहानी,जिन्होंने कभी नही रोड बंद किये , नही कभी तोड़ फाड़ की। इसका नतीजा है कि देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में शामिल जय राम ठाकुर उस आर जी आई की फाइल को आम इन्सान की तरह उठाकर गृह मंत्री अमित शाह के पास खुद ले गये और उनसे अपने प्रदेश के सबसे पिछड़े समुदाय हाटियों के दर्द को बयाँ करते हुए इनकी मांग को पूरा करने का आग्रह करते गये । बस यही शण था सिरमौर वासियों का मसीहा बनने का ।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक