भारत ने रचा कीर्तिमान: विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल के दोनों सिरे जुड़े, इंजीनियरिंग के इतिहास की दुर्लभ उपलब्धि…..

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worlds highest rail bridge in Jammu and Kashmir

कश्मीर को सीधा राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने की सबसे अहम कड़ी और विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल के दोनों सिरे ‘गोल्डन ज्वाइंट’ रस्म निभाते हुए शनिवार जोड़ दिए गए। आतिशबाजी, राष्ट्रीय गान और भारत माता की जय के नारों के बीच इंजीनियरिंग के इतिहास की इस दुर्लभ उपलब्धि पर जश्न मनाया गया। उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना के तहत चिनाब दरिया की सतह से 359 मीटर की ऊंचाई पर पुल की अंतिम आर्क जुड़ते ही कोड़ी और बक्कल रेलवे स्टेशन आपस में जुड़ गए हैं। यह पुल पेरिस के एफिल टावर से 30 मीटर ऊंचा है। हालांकि, पुल का अभी 98 फीसदी निर्माण पूरा हुआ है, जिसे दिसंबर में अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।

भारतीय रेलवे समेत दुनिया के रेलवे इतिहास के सबसे ऊंचे पुल पर 1,436 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। 17 स्तंभों पर बने पुल की कुल लंबाई 1315 मीटर है। शनिवार को पुल की आर्क को जोड़ने से पहले मौके पर एक तिरंगा रैली निकाली गई। कोड़ी की तरफ से शुरू हुई यह रैली आर्क जोड़े जाने वाले स्थान पर पहुंची, जहां आर्क के जुड़ते ही भारत माता का जयघोष किया गया। मौके पर नॉर्दर्न रेलवे के सीएओ एसपी माही मुख्य रूप से मौजूद रहे। पुल बनाने का काम करने वाली अफकांस इंफ्रास्ट्रक्चर के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गिरिधर राज गोपालन और प्रोजेक्ट मैनेजर एसएम विश्वमूर्ति ने कहा कि पुल का काम इसी वर्ष अंत तक पूरा होगा। कंपनी ने पुल को बनाने का काम एक चुनौती के तौर पर लिया था, जिसमें हर मैटेरियल बेहतरीन लगाकर इसको भूकंप रोधी बनाया गया है। शनिवार को ओवर आर्क को आपस में जोड़े जाने का काम पूरा किया गया।

आर्क जोड़े जाने के समय अफकांस के अधिकारियों के साथ कर्मचारियों में गजब का जोश रहा। पुल के दोनों तरफ तिरंगा लगाया गया था। साथ ही आर्क के जुड़ते ही आसमान में तीन रंगों के गुब्बारे छोड़े गए। कर्मचारियों ने कहा कि इतिहास में इस पुल को बनाने वालों का नाम लिखा जाएगा। चिनाब दरिया पर बना विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल दुनिया का एक और अजूबा है, जिसको देखने दुनिया आएगी। आर्क जुड़ते ही रंग बिरंगे फूलों को हवा में फेंका गया और आतिशबाजी कर खुशी जताई गई।

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1300 वर्कर, 300 इंजीनियर दिन-रात जुटे, फहराया तिरंगा

निया के सबसे ऊंचे रेल पुल को मूर्त रूप देने में 1300 वर्कर और 300 इंजीनियर दिन रात जुटे हैं। 111 किलोमीटर लंबे कटड़ा-बनिहाल सेक्शन में निर्माणाधीन पुल का काम वर्ष 2004 में शुरू हुआ था, लेकिन वर्ष 2008-09 में लगातार तेज हवाओं के चलते काम को रोकना पड़ा था। 120 साल की अवधि के लिए तैयार किए जा रहे पुल पर 260 किलोमीटर प्रतिघंटे के रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी असर नहीं डाल सकेंगी। गोल्डन ड्वाइंट रस्म के साथ सबसे ऊंचे रेल पुल पर तिरंगा भी लहराया गया।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक