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बारिश से क्षतिग्रस्त हुआ फुट ब्रिज, जान हथेली पर रख टूटे पुल से खड्ड लांघ रहे ग्रामीण

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पंडोह डैम के साथ लगते बाखली गांव में कुकलाह खड्ड पर बना वर्षों पुराना लकड़ी का पुल बीती 30 जून की रात को भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। यह फुट ब्रिज था और इससे आगे मेन पुल था, जिससे गाड़ियां जाती थी, यह पुल भी पूरी तरह से बह गया है। 15 से अधिक पंचायतों को आपस में जोड़ने वाले इन दोनों पुलों के टूटने से अब लोगों का आना-जाना नहीं हो पा रहा है। यदि आना-जाना हो भी पा रहा है तो उसके लिए एक ही माध्यम बचा है और वो है रोपवे। लेकिन रोपवे से आना-जाना भी इन लोगों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

ठीक सामने दिखने वाले गांव तक जाने के लिए रोपवे के माध्यम से 7 से 8 किमी का सफर तय करना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत सरोआ के उप प्रधान देवेंद्र राणा ने कहा कि सरकार और प्रशासन से बार-बार यही मांग उठाई जा रही है कि क्षतिग्रस्त पुल के स्थान पर जल्द से जल्द नया पुल बनाया जाए, ताकि आमने-सामने के लोगों का संपर्क बना रहे।
स्थानीय निवासी कृष्ण ठाकुर, ढमेश्वर दास और पूर्ण चंद ने बताया कि वे जान जोखिम में डालकर टूटे पुल के सहारे खड्ड को पार कर रहे हैं, क्योंकि यह उनकी मजबूर है। सरकार इस बात को समझे और यहां पुल का निर्माण करे। पहले इस पुल से छोटे वाहनों को जाने की अनुमति थी लेकिन बाद में इसे वाहनों के लिए बंद कर दिया गया था। अब यहां ऐसा पुल बनाया जाए जिससे छोटे वाहनों की भी आवाजाही हो सके।

 

     ग्रामीणों ने बताया कि जब भी वे इस पुल की मरम्मत की मांग उठाते हैं तो मरम्मत करने की बजाय बीबीएमबी और लोक निर्माण विभाग इसकी जिम्मेदारी लेने से पीछे हट जाते हैं। स्थानीय निवासी तारा चंद ने मांग उठाई है कि प्रशासन बीबीएमबी और लोक निर्माण विभाग के बीच यह तय करें कि इस पुल की मरम्मत और देखरेख का कार्य किसकी जिम्मेदारी है और फिर उसी के माध्यम से इस कार्य को जल्द से जल्द करवाया जाए।

बीबीएमबी ने पीडब्ल्यूडी से मांगा एस्टीमेट…
बीबीएमबी के अधिशासी अभियंता चंद्रमणी शर्मा ने बताया कि पुल की मरम्मत के लिए लोक निर्माण विभाग के मैकेनिकल विंग से एस्टीमेट मांगा गया है। एस्टीमेट को मुख्यालय भेजा जाएगा और वहां से स्वीकृति मिलने के आधार पर ही आगामी कार्य किया जाएगा।

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक