बड़े हादसे की इंतजार में आयुर्वेद डिस्पेंसरी पीरन, कभी भी सकती है ढह …..

Spread the love

मशोबरा ब्लाॅक के अंतिम छोर की पंचायत पीरन की आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी का भवन बीते चार वर्षों से जर्जर हालत में हो चुका है। भारी बारिश के दौरान कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। विभाग शायद इसी दिन का इंतजार कर रहा है। दूसरी ओर इस डिस्पेंसरी में स्टाफ के नाम पर एक दैनिक भोगी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात है। बीते चार सालों से लोगों को बार बार आग्रह करने के बावजूद भी आयुर्वेद विभाग द्वारा इस डिस्पेंसरी को लावारिस बना दिया गया है। बरसात में सारा पानी छत से नीचे कमरे में आता है जिसको रोकने के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा कमरे की छत पर पॉलीथिन लगाया हुआ है। बरसात में पानी और नमी के कारण डिस्पेंसरी का सारा सामान और दवाएं खराब हो जाती है जोकि मनुष्य के इस्तेमाल के लिए वर्जित है। गौर रहे कि वर्ष 1988 के दौरान डिस्पेंसरी का भवन निर्मित किया गया था। 25 वर्ष बीत जाने के बाद इस भवन की कोई मरम्मत नहीं करवाई गई जिस कारण यह भवन जर्जर हालत में हो चुका है।

       

 बता दें कि विभाग द्वारा इस डिस्पेंसरी के डॉक्टर को बीते आठ माह से डेपूटेशन पर आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी गलोत में भेजा गया है। दूसरी ओर फार्मासिस्ट का डेढ वर्ष पहले तबादला कर दिया गया है। विभाग को लगता है कि डिस्पेंसरी में स्टाफ की जरूरत महसूस नहीं की जा रही है। पूर्व प्रधान दयाराम वर्मा, अतर सिंह ठाकुर, कमलेश ठाकुर, प्रीतम ठाकुर, ने बताया कि पंचायत के दो स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर न होने के कारण लोगों को अपना उपचार करवाने में बहुत परेशानी पेश आ रही है। बताया कि सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के दावे धरातल पर खोखले साबित हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस औषधालय में डाॅक्टर व अन्य पदों को शीघ्र भरा जाए तथा औषधालय के जर्जर भवन के निर्माण के लिए धनराशि का प्रावधान किया जाए। उन्होने बताया कि जिस प्रकार पीरन पंचायत को वर्तमान सरकार ने विकास के नाम पर उपेक्षित रखा गया है इसका करारा जवाब आगामी चुनाव के दौरान दिया जाएगा।

   

 गौर रहे कि पीरन पंचायत के लोगों को छुटपुट इलाज के लिए भी शिमला अथवा सोलन जाना पड़ रहा है। दुर्भाग्यवश  क्षेत्र में यदि कोई हादसा हो जाए तो पंचायत के दो स्वास्थ्य संस्थानों में फर्सट एड की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिला आयुर्वेद अधिकारी शिमला डाॅ. पवन कुमार जैरथ का कहना है कि असुरक्षित भवन के मरम्मत बारे उच्चाधिकारियों को प्राक्कलन बीते दो वर्षों भेजा गया है जिसे निदेशालय द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती करना सरकार का विशेषाधिकार है।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक