बच्चों पर मंडरा रहा कोरोना का खतरा: विशेषज्ञ बोले इस बात में नहीं है दम, जानें कितनी घातक होगी तीसरी लहर

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देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप अभी थमा भी नहीं है। इस बीच, कोरोना वायरस की तीसरी लहर आने की आशंकाएं बढ़ती ही जा रहीं हैं। बताया जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चों के लिए सबसे अधिक खतरा है। इस पर, सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख ने कहा, यह मानने के कोई कारण मौजूद नहीं है कि आने वाले हफ्तों, महीनों या कोविड-19 की अगली लहर में बड़ी संख्या में बच्चे इससे प्रभावित होंगे। हालांकि, उन्होंने बाल कोविड सेवाओं में सुधार के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत पर जोर जरूर दिया।

एनटीएजीआई के कोविड-19 संबंधी कार्यसमूह के प्रमुख डॉ. एन.के. अरोड़ा ने एक साक्षात्कार में बताया कि अभी तक इस बात का कोई संकेत नहीं है कि कोरोना विषाणु संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चे गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि  मौजूदा आंकड़े भारत में वायरस के विभिन्न स्वरूपों द्वारा बच्चों या युवाओं को विशेषतौर पर प्रभावित करने संबंधी कोई पूर्वानुमान नहीं दिखाते हैं।


अरोड़ा ने कहा कि चूंकि संक्रमण के कुल मामले बढ़े हैं। इसलिए दोनों आयुवर्ग के मरीज भी ज्यादा नजर आ रहे हैं।

आईएनसीएलईएन न्यास के निदेशक अरोड़ा ने कहा कि इस वक्त तीसरी लहर के बारे में कुछ भी अनुमान लगाना संभव नहीं है। अरोड़ा ने कहा कि अपने देश में जो अनुभव मिला है और दुनिया के अन्य हिस्सों में जो देखने को मिला है। उसके आधार पर यह मानने का कोई कारण नहीं है कि आगामी हफ्तों या महीनों में या कोरोना वायरस की अगली लहर में बड़ी संख्या में बच्चे इससे प्रभावित होंगे।


तीसरी लहर का बच्चों पर असर?
इससे पहले, दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि इसका कोई सुबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा कि बच्चों में संक्रमण के मामले कम आए हैं। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण देखा जाएगा।

बच्चों को पहले से कोई बीमारी तो खतरा
गुलेरिया कहते हैं कि बच्चों पर अगली लहर में ज्यादा असर होगा, ये कहना सही नहीं होगा। जब बच्चे आपस में मिलेंगे, स्कूल खुलेंगे तो खतरा हो सकता है। उनका कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में भी वे बच्चे ही अस्पतालों में भर्ती हुए हैं, जिन्हें पहले से कोई परेशानी रही। जो बच्चे स्वस्थ हैं, उनमें बहुत कम संक्रमण दिखे हैं।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक