फगोग के किसान भरत भूषण सब्जियों की खेती से बने आत्मनिर्भर
बिलासपुर जिला के झण्डुता तहसील के तहत गांव फगोग के किसान भरत भूषण ने फसल विविधिकरण के माध्यम से कृषि को आजीविका व रोजगार सृजन का नया मॉडल स्थापित किया है। सब्जियों की खेती से वह आत्मनिर्भर किसान बने हैं। भरत भूषण को आत्मनिर्भर बनाने में हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण परियोजना ‘जायका’ के तहत शुरू की गई फगोग-डोल-लसावा उपयोजना ने बडा महत्वपूर्ण रोल अदा किया। इस उपयोजना के तहत फगोग-डोल-लसावा गांव की 26 हैक्टेयर कृषि भूमि के लिए सिंचाई सुविधओं को तैयार किया गया जिसका लाभ यहां के 71 परिवार उठा रहे है।
उपयोजना के तहत यहां किसान विकास संघ गठित किया गया तथा परम्परागत खेती की जगह उन्हें सब्जी उत्पादन के लिए पे्ररित किया। इसके लिए किसानो को कई तरह के व्यवसायिक रूप से सब्जी उगाने के प्रशिक्षण प्रदान किए गए। भरत भूषण उन्ही में से एक प्रगतिशील किसान के रूप में उभर कर आए। उन्होंने परियोजना कृषि विशेषज्ञों से सब्जी उत्पादन की सही तकनीकी व ज्ञान हासिल किया जिससे अब वह आधुनिक तरीके से 5 बीघा भूमि पर खीरा, लहुसन, गोभी, प्याज, जिमीकंद आदि सब्जियों का उत्पाादन कर रहें हैं। कृषि विशेषज्ञों की मदद से उन्होंने अपने खेतों में उन्नत किस्म के बीजो का प्रयोग किया तथा सुनिश्चित सिंचाई के कारण उनके खेतो में प्रति हैक्टेयर पैदावार पहले के मुकाबले 3 गुना ज्यादा पाई गई है। वर्ष 2019 में भरत भूषण ने 3 बीघा क्षेत्र में सब्जी उगाई जिससे उन्हें कुल 2 लाख 86 हजार 700 रुपये की आय प्राप्त हुई।
परियोजना द्वारा अनुदान पर उपलब्ध करवाई गई आधुनिक कृषि उपकरणों तथा टपक सिंचाई के उपयोग से कृषि के स्तर को उन्नत किया गया। गत 2 सीजन के साकारात्मक नतीजो को देखते हुए इस बार उन्होने जिमीकंद की उन्नत किस्म गजेन्द्रा का 10 क्विटंल बीज भारतीय अनुसंधान केन्द्र पूसा बिहार से खरीद कर अन्य फसलांे जैसे गोभी, लहुसन, हरी पत्ते दार सब्जियो इत्यादी के साथ कुल 5 बीघा क्षेत्र में बीजाई की है। फसल विविधिकरण के चलते व्यवसायिक सब्जी उत्पादन के लिए यहां के किसानों को काफी प्रेरणा मिल रही है तथा सामाजिक व आर्थिक जीवन में जबरदस्त बदलाव आया है। साल दर साल व्यवसायिक सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है।