प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक से 321 करोड़ धोखाधड़ी के मामले बिल्डर की संपत्ति की एटैच -कंडाघाट की में बन रही 34 करोड़ की हाउसिंग कालोनी की संपत्ति भी हुई अटैच

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प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक से करीब 321 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में एक बिल्डर की संपत्ति को अटैच किया है। अटैच की गई संपत्ति की कीमत करीब 34 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इस मामले में आरोपित बिल्डर द्वारा कंडाघाट में हाउसिंग कालोनी का निर्माण किया जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने इस संपत्ति को अटैच किया है। बताया जा रहा है कि यह बैंक चंडीगढ़ में है। ई.डी. ने इस मामले में कुछ और संपत्तियों को भी अटैच किया है। यह सभी संपत्तियां बाहरी राज्य में है। यह बिल्डर भी बाहरी राज्य का ही बताया जा रहा है। लेटर आफ अंडरटेकिंग यानी एल.ओ.यू से इस धोखाधड़ी का अंजाम दिया गया है।

सूत्रों का कहना है कि इस मामले में आयात फर्म के नाम पर फर्जी तरीके से 15 एल.ओ.यृूू. जारी कर दिए। इस एल.ओ.यू. के आधार पर बैंक ने हांगकांग बेस्ड तीन कंपनियों के खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया। यह तीन इससे बैंक पर करीब 321 करोड़ रुपए देनदारी खड़ी कर दी। यह तीनों कंपनियां आरोपी की ही थी। इस मामले में ई.डी . ने बैंक के सहायक प्रबन्धक को भी आरोपी बनाया है और उसकी संपत्ति को भी अटैच किया है। हैरानी की बात यह है कि आरोपी सहायक प्रबन्धक ने अधिकृत अधिकारी की मंजूरी के बिना ही यह एल.ओ.यृूू. जारी कर दिया था।

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क्या एल.ओ.यू.

लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एल.ओ.यू. एक तरह की गारंटी होती है, जिसे एक बैंक दूसरे बैंक को जारी करता है। जिसके आधार पर दूसरे बैंक अकाउंट होल्डर को पैसा मुहैया करा देते है। फाइनेंस की भाषा में कहें तो एल.ओ.यू. सेक्योर मैसिंजग प्लेटफार्म स्वि ट के जरिए एक मैसेज के रूप में भेजा जाता है। स्वि ट के जरिए पैसे ट्रांसफर करने के संदेश की वैल्यू बैंक द्वारा दूसरे पक्ष को जारी एक डिमांड ड्रा ट के बराबर होता है। कुल मिलाकर यह समझें कि यदि अकाउंट होल्डर डिफाल्ट कर जाता है तो एल.ओ.यू. मुहैया कराने वाले वाले बैंक की यह ज़िम्मेदारी होती है कि वह स बन्धित बैंक को बकाया पेमेंट करें।

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