प्रत्येक जीव को कोई ना कोई नियम अपने जीवन में धारण करना चाहिए-आचार्य श्री विजय भारद्वाज

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बिना नियम के जीवन व्यर्थ है। महाशिवरात्रि के उपलक्ष पर प्राचीन शिव मंदिर करगानु सनोरा में चल रहे शिव महापुराण के नवम दिवस कथा व्यास के द्वारा भगवान शंकर के मंगलमय अवतारों की कथा सुना कर भक्तों को कृतार्थ किया । जिसमें ब्रह्म ऋषि शीलाद के यहां भगवान नंदी जी का अवतार विश्वानर के यहां गृहपति अवतार अत्रि मुनि एवं अनसूया के घर दुर्वासा अवतार गौतम पुत्री अंजनी के यहां हनुमान अवतार दधीचि मुनि के यहां पिप्पलाद अवतार यह सभी कथाएं विस्तार से कहीं । महानंदा वेश्या की कथा सुनाते हुए व्यास जी ने कहा नंदीग्राम में एक महानंदा नाम की वेश्या थी । उसके जीवन में दुर्गुण ही दुर्गुण थे बस एक नियम था भगवान शंकर माता पार्वती की नित्य आराधना करती थी इस एक नियम के कारण ही भगवान शंकर ने उस वैश्या की परीक्षा के लिए वेश्यानाथ अवतार ग्रहण कर उस वैश्या का कल्याण किया । इसलिए प्रत्येक जीव को कोई ना कोई नियम अपने जीवन में धारण करना चाहिए और दृढ़ता से उस नियम का पालन करना चाहिए नियम कई प्रकार के हैं जैसे हम प्रतिदिन भगवान का अभिषेक करेंगे या नित्य 1000 पंचाक्षरी मंत्र का जाप करेंगे ऐसे नियमों को धारण करके हम उस परम तत्व के सानिध्य को प्राप्त कर सकते हैं बिना नियम के जीवन व्यर्थ है

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