पूर्व DGP, IPS अंजुम सहित 8 पुलिस अफसरों को हाईकोर्ट से राहत, एट्रोसिटी केस रद्द
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति (SC /ST) अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पूर्व डीजीपी (DGP) संजय कुंडू और आईपीएस (IPS) अधिकारी अंजुम आरा सहित अन्य 8 पुलिस अफसरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर (FIR) को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में कोई आपराधिक मामला नहीं बनता और एफआईआर को जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की पीठ ने शनिवार को यह फैसला सुनाते हुए कहा कि निलंबित कांस्टेबल (Suspended Constable) धर्म सुख नेगी के खिलाफ की गई विभागीय कार्रवाई पूरी तरह से विभागीय प्रक्रिया का हिस्सा थी। मामले में कांस्टेबल नेगी की पत्नी मोना नेगी द्वारा पुलिस अधिकारियों पर उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।
एफआईआर में पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी हिमांशु मिश्रा, अरविंद शारदा, एसपी शालिनी अग्निहोत्री, अंजुम आरा खान, भगत सिंह ठाकुर, पंकज शर्मा, मीनाक्षी और डीएसपी (DSP) बलदेव दत्त का नाम शामिल था। मोना नेगी ने आरोप लगाया था कि इन अधिकारियों ने उनके पति को गलत तरीके से नौकरी से बर्खास्त कर उनके साथ अन्याय किया।
अंजुम आरा, पंकज शर्मा और बलदेव दत्त ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर को चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद अदालत ने माना कि दर्ज मामला तथ्यहीन और निराधार है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के मामले कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पुलिस विभाग में शामिल इन अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है।