नशे से जंग: हवालात में भी चिट्टे की तड़प, खाकी करा रही इलाज
हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की बात करें तो शहर के थानों से लेकर कैथू जेल में 80 से अधिक युवा ऐसे हैं, जो नशा तस्करी से संबंधित मामलों में संलिप्तता के चलते बंद हैं।चिट्ट के खात्मे के लिए जहां पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है। वहीं, पुलिस थानों और जेल में बंद आरोपियों को नशे से आजाद करने में मदद भी कर रही है। हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की बात करें तो शहर के थानों से लेकर कैथू जेल में 80 से अधिक युवा ऐसे हैं, जो नशा तस्करी से संबंधित मामलों में संलिप्तता के चलते बंद हैं। इस दौरान जब यह युवा नशे की तलब में बेकाबू हो जाते हैं, तो इनका पुलिस रिपन और आईजीएमसी अस्पताल में उपचार करवा रही है। नशा छोड़ने के लिए काउंसलिंग भी कर रही है।
पुलिस जहां नशा तस्करी रोकने के लिए ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है तो वहीं जाने-अनजाने में नशे की लत का शिकार इन युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए भी प्रयास करने में जुटी है। चिट्टे का नशा कई होनहार युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहा है। जिन परिजनों को कभी अपने बच्चों की कामयाबी पर नाज था, आज वह उन्हें नशे के मामलों में सलाखों के पीछे देखकर सदमे में हैं। जिले में नशा तस्करी के मामलों में कई सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और विभिन्न प्रतिष्ठित पेशे से जुड़े युवा शामिल हैं, लेकिन एक बार चिट्टे के नशे की लत में पड़ने के बाद यह उसकी तस्करी करने लगे। चिट्टे का नशा एक या दो बार लेने के बाद व्यक्ति उसका आदी हो जाता है। इसके बाद उसे इसे छोड़ना मुश्किल हो जाता है। नशे की इसी तलब में पुलिस थानों और जेलों में कैद युवा भी तड़पते हैं, तो उनकी इस हालत को देखकर पुलिस को उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ता है। इसके प बाद चिकित्सक उन्हें ऐसी दवाइयां देते हैं, जिनसे तलब कम हो और उन्हें इसे छोड़ने में मदद मिल सके।