जबरन धर्मांतरण पर हिमाचल में अब होगी 7 साल तक की सजा, अधिसूचना जारी

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हिमाचल प्रदेश में अब जबरन धर्मांतरण(Religion conversion) करवाने पर अब 7 साल तक की सजा हो सकती है। प्रदेश के राज्यपाल से स्वतंत्रता अधिनियम-2019 विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस कानून के प्रावधानों के तहत अब तीन माह से सात साल तक की सजा दी जाएगी। इस कानून के तहत जबरन धर्मांतरण, प्रलोभन या झांसा देकर करवाया गया धर्मांतरण संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अलग-अलग वर्गों और जातियों के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं। इस कानून में सामान्य श्रेणी के व्यक्ति का धर्मपरिवर्तन करते हुए पकड़ा जाता है, तो पांच साल तक की सजा का प्रावधान है। इसी तरह नाबालिग, महिला या एससी-एसटी से संबंधित लोगों का जबरन धर्मपरिवर्तन करते हुए पकड़े जाने पर अधिकतम सजा 7 साल होगी। इसके अलावा, धर्मपरिवर्तन के उद्देश्य से किया गया विवाह भी मान्य नहीं होगा और ऐसे विवाह को चुनौती दी जा सकेगी। हालांकि, स्वेच्छा से किए जाने वाले धर्मपरिवर्तन पर रोक नहीं है, लेकिन इसकी सूचना व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट के पास एक महीने पहले देनी होगी और घोषणा करनी होगी कि वह बिना डर और प्रलोभन से धर्मपरिवर्तन कर रहा है। वहीं यदि कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में वापस आता है तो उसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।

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Anju

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