गैरकानूनी तरीके से हिमाचल में कारोबार करके करोड़ों रुपये ले भागी सोसाइटी
ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसायटी नौ सालों तक हिमाचल प्रदेश में गैरकानूनी तरीके से काम करती रही और हजारों लोगों के करोड़ों रुपये ऐंठकर भाग गई है। सोसायटी के पास लोगों का करीब 500 करोड़ रुपये जमा है। अब शिकायतें मिलने के बाद सेंट्रल रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटी ने इस सोसायटी के विघटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत सोसायटी की परिसंपत्तियों को बेचकर इसके निवेशकों की देनदारियों को निपटाया जाएगा। मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी (एमएससीएस) एक्ट 2022 के मुताबिक सोसायटी को प्रदेश में लोगों से निवेश करवाने से पहले सेंट्रल रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटी से मंजूरी लेनी थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। सोसायटी के पास दिल्ली, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में ही काम करने की अनुमति थी।सोसायटी ने स्टेट कोऑपरेटिव रजिस्ट्रार सोसायटी के पास वर्ष 2016 को अनापत्ति प्रमाण के लिए आवेदन किया था। सेंट्रल कोऑपरेटिव सोसायटी से मिली अनुमति के आधार पर स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी ने उन्हें 30 मार्च 2016 को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिया। सोसायटी को इसके बाद नियमों के तहत अपने बायॅलाज में बदलाव करके हिमाचल प्रदेश में काम करने की अनुमति सेंट्रल रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटी से लेनी थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। प्रदेश में सोसायटी ने 37 सुविधा केंद्र खोल रखे हैं। ज्वाइंट रजिस्ट्रार स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी गौरव चौहान ने बताया कि ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसायटी एमएससीएस एक्ट 2022 के नियमों का उल्लंघन करके कई सालों से प्रदेश में काम कर रही थी। प्रदेश में एनओसी लेने के बाद सोसायटी को सेंट्रल रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटीज से मंजूरी लेनी थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।