कोरोना से जान गंवाने वाले फ्रंट लाइन वर्करों, शिक्षकों-कर्मचारियों के परिजनों को मिलेंगे 50 लाख

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कोविड से मौत पर 50 लाख रुपये मिलेंगे(सांकेतिक)

हिमाचल प्रदेश में कोविड-19 ड्यूटी के दौरान इस वायरस से जान गवाने वाले फ्रंट लाइन वर्करों के साथ शिक्षकों व अन्य कर्मियों के आश्रितों को भी एसडीआरएफ से 50 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसके लिए सभी जिलों के डीसी को जिला आपदा प्रबंधन सेल के अंतर्गत मृतकों का डाटा जुटाने के लिए कह दिया गया है। फार्मेट बनाया जा रहा है, जिसके आधार पर आवेदन किए जाएंगे। उसके बाद जिला स्तर पर गठित कमेटियां आपदा प्रबंधन सेल को पात्र आवेदनों को भेजेंगी। इनके आधार पर मृतक के परिजनों को मुआवजा राशि जारी की जाएगी। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय की ओर से भी सभी जिलों के उप शिक्षा निदेशकों से सूची मांगी गई है, जिसका सत्यापन करने के बाद ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिलेगा।

उधर, हिमाचल प्रदेश में कोरोना से भले ही कई कर्मचारियों की जान गई हो, लेकिन प्रदेश सरकार को अभी तक एक भी पात्र आवेदन नहीं मिला है जिसके आधार पर कोविड ड्यूटी कर रहे कोरोना वॉरियर के तौर पर राज्य आपदा राहत फंड से 50 लाख की राशि मृतक के परिजन को दी गई हो। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबंधन सेल की उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें मुआवजे के लिए सात आवेदन मिले। सूत्रों के अनुसार इन आवेदनों में से दो आवेदन ही ऐसे थे, जिन्हें कोरोना वॉरियर के तौर पर पचास लाख की राहत राशि देने के योग्य माना गया। इन्हें भी दस्तावेज कम होने की वजह से अगली बैठक में लाने के लिए वापस विभागों को भेज दिया गया है।


हाल ही में प्रधान सचिव राजस्व ने सभी विभागीय सचिवों और विभागाध्यक्षों को निर्धारित प्रोफार्मा में कोविड ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों और उनके परिजनों के नाम व बैंक खातों की जानकारी देने के लिए कहा था। अभी तक सिर्फ सात मामले ही सेल को भेजे गए हैं। कहा गया है कि राहत राशि के लिए सिर्फ वही आवेदन पात्र माने जाएंगे, जिनमें मृतक कोविड संबंधी ड्यूटी ही कर रहा हो।

कोविड ड्यूटी के चौदह दिन के भीतर या फिर कोविड संक्रमण की वजह से पैदा हुई जटिलताओं की वजह से मृत्यु होने पर भी राहत राशि के लिए पात्र माना जाएगा। सिर्फ कोविड के दौरान ड्यूटी करने वाले मृतक के परिवार के आवेदन को इस राहत राशि के लिए पात्र नहीं माना जाएगा।

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक