जब भारत में अंग्रेजी सरकार ने दस्तक दी थी तो बिना ब्लाउज वाली साड़ी बंगाल में सबसे ज्यादा प्रचलित थी। हालांकि, उस दौरान अंग्रेजी महिलाएं खुद को तो डिज़ाइनर कोरसेट में ढंककर रखती थीं, लेकिन भारतीय महिलाएं एक बांह को खोलते हुए इस तरह की साड़ी को पहनती थीं। कहा तो ऐसा भी जाता है कि भारतीय महिलाओं को यूं आधे कपड़ों में देखना अंग्रेजों को बिल्कुल रास नहीं आता था। इसके लिए उन्होंने एक मुहिम शुरू की थी, जिसे बंगाली सोशल रिफॉर्मर ज्ञानंदिनी देवी ने आगे बढ़ाते हुए साड़ी के साथ ब्लाउज पहनने की परंपरा की शुरुआत की।
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