केसर की खेती से बदलेगी हिमाचल के किसानों की तकदीर

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हिमाचल प्रदेश के चंबा, कुल्लू, मंडी और किन्नौर में केसर की खेती किसानों की तकदीर बदलेगी। चार जिलों की 25 कनाल भूमि पर 35 से 49 क्विंटल केसर बीज बोया जाएगा। भरमौर, तीसा, सलूणी में छह कनाल भूमि के लिए आठ से नौ क्विंटल केसर का बीज किसानों को दिया जाएगा।

दरअसल समुद्र तल से 1500 से लेकर 2500 मीटर की ऊंचाई पर केसर की खेती होती है। केसर के बीज की रोपाई के बाद इसे सिंचाई सुविधा मिल जाए तो बढ़िया फसल होती है। चंबा के भरमौर, सलूणी और तीसा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों को केसर की खेती के लिए चयनित किया गया है। भरमौर, सलूणी और तीसा में ट्रायल के तौर पर लगाई गई केसर की खेती में फ्लावरिंग हो गई है।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) पालमपुर के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. राकेश राणा ने कहा कि चंबा, कुल्लू, मंडी और किन्नौर में केसर की खेती के लिए प्रदेश सरकार से एमओयू साइन किया है। चार जिलों में 25 कनाल भूमि में 35 से 40 क्विंटल केसर का बीज लगाया जाएगा। वहीं, निदेशक संजय कुमार ने कहा कि किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से ही केसर की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

नाचन, सराज में लहलहाएगी हींग, केसर की खेती
नाचन और सराज के किसानों के खेतों में नकदी फसलों के साथ अब हींग और केसर भी लहलहाएंगे। आईएचबीटी पालमपुर के सौजन्य से किसानों की आर्थिकी मजबूत करने के लिए कृषि विभाग किसानों को हींग और केसर की खेती करने के लिए प्रेरित करेगा। वर्ष 2019-20 में क्षेत्र में हींग और केसर का ट्रायल सफल होने के बाद अब पायलट प्रोजेक्ट के रूप में क्षेत्र में हींग और केसर की खेती करने की कृषि विभाग ने तैयारी कर ली है। कृषि विषयवाद विशेषज्ञ धर्मचंद चौहान ने बताया कि 60 किसान केसर और 35 किसानों से विभाग आईएचबीटी के माध्यम से हींग और केसर की खेती करवाई जाएगी।

यहां होगी केसर की खेती
नाचन और सराज में अब चैलचौक, मोवीसेरी, खनियारी, ओहन, बडींन, तांदी, कुंसोट जेल करनाला, गेर, भलोठी, बाग, रहिधार, ओहन, तांदी, कटयांदी, शरण, धलवास, कुराहनी, खनियारी, बह मझोठी, चकदयाला, करसला, डूंगाधार, शमनोश, बानीसेरी, शांगरी, स्यांज , मुराटन, पनगलियुर, ग्वाड़, काफलु, तरौर, सेगली काढ़ि, बाग, बालहड़ी बुरहटा, मझोठी, सुनाथर, टीली काढ़ि शीलह और शकरैणी में हींग और केसर की खेती की जाएगी।

नाचन, सराज में हींग और केसर का ट्रायल सफल होने के बाद अब पूरे ब्लॉक में किसानों से इसकी खेती करवाई जाएगी। क्षेत्र के ठंडे और गर्म क्षेत्र खेती के लिए चिह्नित किए जा चुके हैं। नाचन एवं सराज के करीब 100 किसान हींग और केसर की खेती करेंगे।

-डॉ. रमेश कुमार, वैज्ञानिक आईएचबीटी

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक