किसान आंदोलन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि किसानों को प्रदर्शन का हक है। अदालत ने कहा कि हम प्रदर्शन के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि प्रदर्शन का अंत होना जरूरी है, हम प्रदर्शन के विरोध में नहीं हैं लेकिन बातचीत भी होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वह किसानों के प्रोटेस्ट और आंदोलन के लिए नागरिकों के मौलिक अधिकार के बारे में है।’ सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कानूनों की वैधता के सवाल पर इंतजार किया जा सकता है। चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में कहा- स्वतंत्र समिति में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और अन्य लोग सदस्य के तौर पर हो सकते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने किसानों से कहा कि आप इस तरह से एक शहर को ब्लॉक नहीं कर सकते हैं।
बता दें बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, पंजाब-हरियाणा सरकार और 8 किसान संगठनों को नोटिस भेजा। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिए वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ में यह सुनवाई हुई।
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