अंडर-19 विश्व कप: हिमाचल में जन्में राज बावा ने ध्वस्त किए कई रिकॉर्ड

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भारत ने अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में इंग्लैंड को चार विकेट से हरा दिया और पांचवीं बार खिताब अपने नाम किया। भारत ने अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में इंग्लैंड को चार विकेट से हरा दिया और पांचवीं बार खिताब अपने नाम किया। इससे पहले टीम इंडिया 2000, 2008, 2012 और 2018 में विश्व कप जीत चुकी है। इस अंडर-19 वर्ल्ड कप में हिमाचल प्रदेश में जन्में राज बावा ने अपने बल्ले और गेंद दोनों से कई रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। वह यूगांडा के खिलाफ ग्रुप मैच में 162 रन बनाकर सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर बनाने वाले बल्लेबाज बने थे और अब इंग्लैंड के खिलाफ खिताबी मुकाबले में पांच विकेट लेने वाले पहले भारतीय भी बन गए। राज के पिता सुखविंदर सिंह वरिष्ठ कोच हैं और  युवराज सिंह को भी कोचिंग दे चुके हैं। राज बचपन से ही चंडीगढ़ में परिवार के साथ रहता है।राज के पिता ज़िला टीम सिरमौर के भी कोच रहे हैं। इनके दादा त्रिलोचन बावा 1948 में ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाली भारत की हॉकी टीम का हिस्सा रहे हैं। राज के तमाम प्रमाण पत्रों पर बर्थ प्लेस नाहन, हिमाचल ही है।
काैन है राज बावा
19 साल के राज का जन्म हिमाचल के नाहन में हुआ। हालांकि उनका परिवार चंडीगढ़ चला गया। राज को खेल विरासत में मिला है, क्योंकि उनके दादा त्रलोचन बावा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे, तो पिता सुखविंदर ने हॉकी और क्रिकेट में अपना हुनर दिखाया है। उसके पिता 22 साल की उम्र में ही क्रिकेट कोच बन गए थे, क्योंकि वह चोटिल होने के कारण खेल नहीं सके थे। राज बावा लेफ्ट हैंड से बैटिंग करते हैं। उनके रोल मॉडल दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह। खास बात यह है कि युवराज की तरह ही राज भी 132 नंबर की जर्सी पहनते हैं। इसके अलावा रोचक बात यह भी है कि युवराज सिंह इस उदीयमान ऑलराउंडर के पिता की देखरेख में ट्रेनिंग कर चुके हैं। क्रिकेट के अलावा राज बावा को डांस और थिएटर का शौक है।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक