सीएम सुक्खू ने लगाए गंभीर आरोप; केंद्र के इस कदम से बढ़ सकती हैं हिमाचल सरकार की मुश्किलें
आने वाला वक्त हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए मुश्किलों भरा रहने वाला है. केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के कर्ज की सीमा 1 हजार 779 करोड़ रुपए तक घटा दी है. CM सुक्खू की डगर अब मुश्किल हो चली है. हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार का आने वाला वक्त मुश्किलों से भरा रहने वाला है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने एक बयान में कहा है कि पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के निर्णय के बाद वित्त वर्ष 2022 देश के लिए उधार सीमा में 1 हजार 779 करोड़ की कटौती कर दी गई है. खुले बाजार से उधार लेने की सीमा पिछले साल की तुलना में करीब 5 हजार 500 करोड़ रुपए कम की गई है. दिसंबर 2023 तक प्रदेश सरकार को 4 हजार 259 करोड़ उधार लेने की अनुमति मिली है. साथ ही प्रदेश सरकार को लगभग 8 हजार 500 करोड़ रुपए के लिए अतिरिक्त अनुमति मिलने की उम्मीद है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि पुरानी पेंशन योजना बहाल करने पर केंद्र ने वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए हैं. उन्होंने कहा कि कर्ज पर निर्भरता को प्रदेश सरकार कम करने की कोशिश कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश पर पड़े कर्ज के बोझ का जिम्मेदार पूर्व भाजपा सरकार को ठहराया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने के बाद कर्मचारियों को उनका अधिकार दिया और केंद्र ने हिमाचल सरकार पर प्रतिबंध लगा दिए. बावजूद इसके राज्य सरकार सक्रिय रूप से संसाधन जुटाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. सरकार अतिरिक्त राजस्व जुटाने की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के सार्वजनिक उपक्रमों की विद्युत परियोजनाओं में बड़ी जिम्मेदारी है.
केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए बाहरी सहायता प्राप्त एजेंसियों के माध्यम से सहायता के नए प्रस्तावों पर अधिकतम सीमा निर्धारित की है यह प्रतिबंध साल 2023-24 से साल 2025-26 तक के लिए लागू रहेगा. वित्त वर्ष 2025-26 की समाप्ति तक हिमाचल प्रदेश भारत सरकार से सिर्फ 2 हजार 944 करोड़ रुपए के प्रस्ताव की स्वीकृति के लिए ही पात्र होगा. कुल-मिलाकर हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए आने वाला वक्त मुश्किलों से भरा रहने वाला है. हिमाचल प्रदेश केंद्रीय वित्त पोषण पर आगे बढ़ने वाला राज्य है. ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश की कर्ज सीमा कम होने से आने वाले वक्त में परेशानी बढ़ाने वाला होगा.

