लॉक डाउन से पर्यावरण को मिल रहा लाभ, हिमाचल के इस जगह की हवा देश में सबसे शुद्ध

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लॉक डाउन से पर्यावरण को मिल रहा लाभ, हिमाचल के इस जगह की हवा देश में सबसे शुद्ध
लॉक डाउन से पर्यावरण को मिल रहा लाभ, हिमाचल के इस जगह की हवा देश में सबसे शुद्ध

कोरोना वायरस के चलते मानव जाति घरों में कैद होकर रहने को मजबूर है। लेकिन प्रकृति को भरपूर लाभ  पहुँच रहा है। लॉक डाउन के कारण नदी-नालों से लेकर हवा शुद्ध हो गई है। हिमाचल में भी प्रदूषण का लेवल गिरा है और सूबे की पर्यटन नगरी मनाली की हवा देश मे सबसे शुद्ध हो गई है। आंकडों के अनुसार, मनाली की आबोहवा इस वक्त देश में सबसे शुद्ध है। आरएसपीएम के निर्धारित मानक के अनुसार, इसका स्तर 100 आरएसपीएम माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए, लेकिन मनाली में ये स्तर 9 आरएसपीएम है। ऐसे में कह सकते हैं कि लॉकडाउन के चलते मनाली की हवा देश में सबसे शुद्ध हो गई है।

 आदित्य नेगी, सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी से लेकर अप्रैल माह का आंकड़ा जारी किया है। इसमें प्रदेश के सात शहरों बद्दी, परवाणू, सुंदरनगर, शिमला, पांवटा साहिब, ऊना और मनाली का आरएसपीएम, सल्फर डाईआक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर मापा गया है। आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण के स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बद्दी में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 125 माईक्रो ग्राम प्रति घनमीटर था। जो फरवरी में बढकर 152.6 पहुंच गया। लेकिन अप्रैल में यह गिरकर 71 माईक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रह गया। परवाणू के सेक्टर-4 से में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 48.7 था, जोकि अप्रैल में घट कर 34.5 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया। सुंदरनगर में जनवरी में आरएसपीएम स्तर 72 था, जो अप्रैल में लुढ़कर 23 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया। राजधानी शिमला में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 58.4 था, जो अप्रैल में घटकर 48.8 माईक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रहा। सिरमौर के पांवटा साहिब में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 75.9 था, लेकिन अप्रैल में यह 40 रह गया। इसके अलावा, ऊना में पॉल्यूशन का लेवल 60.6 से गिरकर 26.9 पहुंच गया।

गौरतलब है कि इससे पहले, हिमाचल प्रदेश की आबो-हवा काफी साफ थी, लेकिन पिछले कुछ साल में कई कारणों से हिमाचल में भी प्रदूषण कर स्तर बढ़ने लगा। कर्फ्यू के बाद से प्रदेश में वाहनों की आवाजाही कम हुईं निर्माण कार्य बंद हैं। बहुत कम उद्योगों को चलाने की अनुमति है। प्रदेश में पिछले चार महीनों में प्रदूषण के स्तर में 50 से 60 प्रतिशत तक कमी आई है।

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