लॉकडाउन के दौरान दूरदराज क्षेत्रों में बसे फंसने से ड्राईवर परेशान

जुन्गा। लॉकडाउन के चलते जहां सभी कर्मचारी अपने परिवार के साथ घरों में पिछले कई दिनों से आराम कर रहे है वहीं पर एचआरटीसी की बसों के पहिए दूरदराज गांव में थमने से ड्राईवर सारा दिन बस में बैठकर समय काट रहे हैं ।
यही नहीं इनकी निर्भरता भोजन इत्यादि के लिए ग्रामीण परिवेश के लोगों पर बढ़ गई है। लॉकडाउन के दौरान एचआरटीसी की एक बस डूब्लू और एक बस पीरन में पिछले 21 दिन से खड़ी है जबकि निजी बसों को उनके मालिकों द्वारा अपनी सुविधानुसार विभिन्न स्थानों पर खड़ा किया गया है। एचआरटीसी बसों के पहिए थम जाने के कारण ड्राईवर अपने परिवार से मिलने के लिए व्याकुल हैं। इनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने बसों को वापिस अपने मुख्यालय खड़े करने के कोई आदेश जारी नहीं किए जिस कारण वह अपने परिवार से दूर गांव में रहने को मजबूर हो गए हैं जबकि इस कोरोना वायरस से उत्पन्न हुई देशव्यापी समस्या में कोई भी व्यक्ति गावं में उनसे बात करने और साथ बैठने में परहेज करते हैं। यही नहीं बस चालकों के पास अपने रोजमर्रा खर्चे के लिए पैसे भी खत्म हो गए हैं। इसके अतिरिक्त इनके पास कपड़े इत्यादि बदलने की उचित व्यवस्था भी नहीं है। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की बात सुनने के उपरांत बस चालक बहुत परेशान है और परिवार से मिलने की इनकी सारी उमीदें धराशाई हो गई है। इनका कहना है कि लॉकडाउन के नए आदेश पारित करते हुए सरकार को चाहिए कि दूरदराज क्षेत्रों में फसी बसों को वापिस मुख्यालय बुलाया जाए ताकि सभी बस चालक इस संकट की घड़ी में अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर सके।


यही नहीं इनकी निर्भरता भोजन इत्यादि के लिए ग्रामीण परिवेश के लोगों पर बढ़ गई है। लॉकडाउन के दौरान एचआरटीसी की एक बस डूब्लू और एक बस पीरन में पिछले 21 दिन से खड़ी है जबकि निजी बसों को उनके मालिकों द्वारा अपनी सुविधानुसार विभिन्न स्थानों पर खड़ा किया गया है। एचआरटीसी बसों के पहिए थम जाने के कारण ड्राईवर अपने परिवार से मिलने के लिए व्याकुल हैं। इनका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने बसों को वापिस अपने मुख्यालय खड़े करने के कोई आदेश जारी नहीं किए जिस कारण वह अपने परिवार से दूर गांव में रहने को मजबूर हो गए हैं जबकि इस कोरोना वायरस से उत्पन्न हुई देशव्यापी समस्या में कोई भी व्यक्ति गावं में उनसे बात करने और साथ बैठने में परहेज करते हैं। यही नहीं बस चालकों के पास अपने रोजमर्रा खर्चे के लिए पैसे भी खत्म हो गए हैं। इसके अतिरिक्त इनके पास कपड़े इत्यादि बदलने की उचित व्यवस्था भी नहीं है। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की बात सुनने के उपरांत बस चालक बहुत परेशान है और परिवार से मिलने की इनकी सारी उमीदें धराशाई हो गई है। इनका कहना है कि लॉकडाउन के नए आदेश पारित करते हुए सरकार को चाहिए कि दूरदराज क्षेत्रों में फसी बसों को वापिस मुख्यालय बुलाया जाए ताकि सभी बस चालक इस संकट की घड़ी में अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर सके।