हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सीपीएस कानून को किया निरस्त, सभी सुविधाएं होंगी खत्म
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य संसदीय सचिव(सीपीएस) की नियुक्तियों के संवैधानिक दर्जे पर बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने सीपीएस कानून निरस्त कर दिया है। इसके तहत सीपीएस को दी जा रही सभी सुविधाओं को खत्म कर दिया गया है।
अब छह मुख्य संसदीय सचिव अब सिर्फ विधायक के ताैर पर ही कार्य करेंगे। कोर्ट ने सीपीएस की नियुक्तियों को असांविधानिक बताया है। इस मामले में अदालत में पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था की ओर से वर्ष 2016 में याचिका दायर की गई थी। अदालत में दूसरी याचिका कल्पना और तीसरी भाजपा नेता पूर्व सीपीएस सतपाल सत्ती सहित अन्य 11 भाजपा के विधायकों की ओर से दायर की गई थी।
इन तीनों याचिकाओं में मूल प्रश्न हिमाचल प्रदेश में 2006 में बनाया गया कानून है। इसके तहत पहले भाजपा सरकार ने अपने विधायकों को सीपीएस बनाया था।
अब कांग्रेस सरकार ने छह विधायकों को सीपीएस बनाया है। सरकार ने इस मामले में बहस के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किए। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के तहत, राज्य में विधायकों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। हिमाचल विधानसभा में 68 विधायक हैं। इसके तहत यहां पर 12 ही मंत्री बन सकते हैं।