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हिमाचल प्रदेश में बिकने वाली शराब की बोतलों पर लगेंगे होलोग्राम

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हिमाचल प्रदेश में बिकने वाली शराब की बोतलों पर अब होलोग्राम लगेंगे। नकली और अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए कर एवं आबकारी विभाग ने यह फैसला लिया है। एक साल के दौरान 10 करोड़ होलोग्राम तैयार करने के लिए विभाग ने इलेक्ट्राॅनिक्स काॅरपोरेशन के माध्यम से कंपनियों से इस बाबत आवेदन आमंत्रित किए हैं।वर्ल्ड बैंक के वित्त पोषित ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के तहत प्रदेश में इस नई व्यवस्था को शुरू किया जा रहा है। इसके तहत हिमाचल में बिकने वाली शराब की हर बोतल पर क्यूआर कोड से लिंक होलोग्राम लगाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। प्रदेश में बेची जाने वाली एक-एक बोतल का हिसाब रखने के लिए सरकार ने ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम शुरू किया है। इसी कड़ी में अब होलोग्राम को क्यूआर कोड से लिंक करने की कवायद शुरू की गई है।

होलोग्राम और क्यूआर कोड को मोबाइल फोन से स्कैन कर शराब की गुणवत्ता का पता लगाया जा सकेगा। हिमाचल प्रदेश में शराब की शुद्धता बनाए रखने के लिए सरकार ने यह निर्णय किया है। शराब की बोतलों पर क्यूआर कोड विद होलोग्राम ट्रैक लगाकर बेचना अनिवार्य किया जाएगा। नई व्यवस्था के तहत शराब के बॉटलिंग प्लांट से निकलने वाली हर बोतल पर सिक्योरिटी होलोग्राम, क्यूओर कोड और शराब के बॉक्स पर बार कोड होगा। प्लांट से बार कोड को रीड करने के बाद शराब की पेटियों को बाहर भेजा जाएगा।

गोदाम में पहुंचने के बाद शराब की पेटियों के बार कोड को दोबारा स्कैन किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि शराब को सही डिपो पर पहुंचाया गया है। इन्हीं पेटियों को जब रिटेल शॉप पर भिजवाया जाएगा, तब भी इनके बैच नंबर से यह पता चल सके कि कौन सी शराब की पेटी या बोतल किस रिटेल स्टोर या दुकान पर गई है। शराब खरीदने वाले लोग भी ठेकों पर बोतल के क्यूआर कोड और होलोग्राम को अलग-अलग स्कैन कर शराब की गुणवत्ता की जांच कर सकेंगे।

शराब कहां और किस तारीख को बनी, स्कैन करने पर चलेगा पता
स्कैन करने पर पता चलेगा कि शराब कहां और किस तारीख को बनी है। विभाग की इस नई व्यवस्था से नकली शराब की धरपकड़ हो सकेगी। आबकारी आयुक्त डाॅ. यूनुस ने बताया कि वैध शराब बिकने से सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। बाहरी क्षेत्रों से प्रदेश में लाई जाने वाली अवैध शराब की सप्लाई को रोकने के लिए इस व्यवस्था को शुरू करने का फैसला लिया है।

 

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक