शूलिनी विश्वविद्यालय में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

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एप्लाइड साइंसेज एंड बायोटेक्नोलॉजी (एफएएसबी), शूलिनी विश्वविद्यालय के संकाय ने शुक्रवार को “क्लोज द गैप इन केयर” थीम पर कैंसर जागरूकता पर एक कार्यक्रम की मेजबानी की।

डॉ. सचिन गुप्ता, एसोसिएट डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी एंड हेमेटो ऑन्कोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और डॉ. नीलाद्री दास, रिसर्च स्कॉलर, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी दिन के अतिथि वक्ता थे।

अनुराधा सौरीराजन, अपलाईड साइयन्स और बायोटेक्नोलोज़ी की डीन ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया और शूलिनी विश्वविद्यालय के कैंसर रिसर्च के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने वर्तमान कैंसर उपचारों और हिमालयी औषधीय पौधों के कैंसर रोधी दवाई के स्रोत के रूप में उपयोग पर भी चर्चा की।अपने उद्घाटन भाषण में, चांसलर प्रो. पीके खोसला ने कैंसर जीव विज्ञान में वैज्ञानिक और आध्यात्मिक विषय पर चर्चा की।

डॉ सचिन गुप्ता ने “कैंसर जागरूकता, निदान और उपचार” के बारे में बात की, विभिन्न कैंसर के लक्षणों, रिसर्च और उपचारों पर चर्चा की। उन्होंने हमारे शरीर पर पर्यावरण में जहरीले रसायनों के हानिकारक प्रभावों के साथ-साथ कैंसर के विकास में उनकी भूमिका पर भी बात किया।

डॉ. नीलाद्रि दास ने “पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा (सीएएम) और कैंसर में भारतीय शहद की भूमिका” पर एक प्रस्तुति दी। डॉ. दास ने कैंसर अनुसंधान में पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने पुष्प शहद के कैंसर विरोधी गुणों पर अपने शोध पर चर्चा की।

सत्र में छात्रों और जैव प्रौद्योगिकी संकाय सदस्यों सहित 83 से अधिक लोगों ने भाग लिया। दर्शकों ने प्रस्तुतकर्ताओं को कैंसर के निदान, जीवनशैली में बदलाव और कैंसर के उपचार के बारे में सवालों से रूबरू कराया। डॉ. नितिका ठाकुर और डॉ. लोकेन्द्र कुमार ने सत्र का संचालन किया।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक