शराब नीति केस में केजरीवाल को जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ दी बेल
दिल्ली शराब नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुइंया दोनों ने केजरीवाल को जमानत दी. बेल पर दोनों जजों ने सहमति जताई लेकिन CBI की गिरफ्तारी पर दोनों जजों की राय अलग-अलग है. जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया जबकि जस्टिस भुइंया ने गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि सीबीआई एक प्राथमिक जांच एजेंसी है. ऐसा कोई संकेत नहीं जाना चाहिए कि जांच ठीक से नहीं की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के केस में उन्हें ये जमानत दी है. केजरीवाल को 10 लाख के बॉन्ड पर जमानत मिली है. केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं. पहली जमानत याचिका और दूसरी सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत तो दे दी लेकिन सीबीआई की गिरफ्तारी को अवैध नहीं ठहराया है.
ED के केस में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है जबकि यह मामला CBI की ओर से की गई गिरफ्तारी और रेगुलर बेल से जुड़ा था. ईडी मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई को जमानत मिली थी. वहीं, अब सीबीआई केस में भी सर्वोच्च न्यायालय से केजरीवाल को जमानत दे दी है. ईडी केस में अंतरिम जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था.
5 सितंबर को SC ने सुरक्षित रखा था फैसला
सुप्रीम कोर्ट पांच सितंबर को केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला 5 सितंबर को सुरक्षित रखा था. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सिंघवी ने पेश की थीं ये दलीलें
- पिछली सुनवाई के दौरान अरवंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कई दलीलें पेश की थीं.
- केजरीवाल को तत्काल रेगुलर जमानत मिलनी चाहिए.
- केजरीवाल की गिरफ्तारी जानबूझकर की गई.
- जेल में रखने के लिए केजरीवाल को अरेस्ट किया गया
- केजरीवाल के खिलाफ कोई नया सबूत नहीं.
- CBI की FIR में केजरीवाल का नाम तक नहीं
- FIR में केजरीवाल का नाम बाद में जोड़ा गया.
- CBI ने 2 साल बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया.
- सिर्फ एक गवाही का आधार बनाकर उनकी गिरफ्तारी हुई.
- PMLA केस में केजरीवाल की दो बार रिहाई हुई.
- नॉन अरेस्ट को गिरफ्तारी के मामले में बदल दिया गया.
- दोबारा गिरफ्तारी से पहले नोटिस नहीं दिया गया.
- केजरीवाल एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, वह कहीं भाग नहीं रहे
- केजरीवाल को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से रोक गया.
- CBI द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी उचित नहीं है.
- सिंघवी ने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है.
- SC का ये फैसला ED और CBI मामले में भी लागू होगा.
- केजरीवाल के मामले में भी लागू होगा.
CBI ने दी थीं ये दलीलें
- ASG ने कहा कि केजरीवाल शराब घोटाले में मुख्य आरोपी हैं. उनके खिलाफ सबूत हैं.
- सिसोदिया, कविता, सभी ट्रायल कोर्ट से गुजरे. केजरीवाल सांप-सीढ़ी का खेल खेल रहे
- CBI सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सही नहीं है.
- किसी भी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है.
- जांच के आधार पर मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी की मंजूरी दी.
- CBI की अर्जी को राउज एवेन्यू कोर्ट से अनुमति मिली थी.
- कोर्ट की अनुमति के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी.
क्या है अरविंद केजरीवाल का मामला?
यह मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है. इस नीति को बाद में निरस्त कर दिया गया था. ईडी ने आबकारी नीति स्कैम के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का एक अलग मामला दर्ज किया था. सीबीआई और ईडी के अनुसार के मुताबिक दिल्ली शराब नीति में संशोधन करके अनियमितताएं की गईं और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी.