बागवान सड़कों पर, सरकार सचिवालय में मस्त : नंदा

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शिमला, भाजपा से मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि पूरे प्रदेश में बागवान सड़कों पर है और सरकार केवल मात्र सचिवालय में बैठकर योजना बना रही है। हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन चरम सीमा पर चल रहा है और इसको लेकर प्रदेश सरकार द्वारा कोई भी ठोस नीति नहीं बनाई जा रही है। हिमाचल प्रदेश के सेब बाहुबल क्षेत्रों में बागवानों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। चाहे आप कुल्लू की बात करो या रामपुर की बात करो लगातार धरना प्रदर्शन चल रहे हैं, महिलाएं और पुरुष बागवानी दोनों सड़कों पर है। इसे साफ प्रतीत होता है कि प्रदेश सरकार अपने कार्य में नाकाम है।

उन्होंने कहा की भारतीय जनता पार्टी लगातार सेब उत्पादकों के हक के लिए जनता के समक्ष जा रही है हमारा मानना है की प्रदेश सरकार हमें बताएं की एपीएमसी एक्ट 2005 कोई सही तरह से लागू करने में कितना समय लगेगा। माल भाड़े को एक्ट के तहत रेगुलेट करने की मांग कब पूरी होगी। सेब के भाड़े को वजन व दूरी के आधार पर तय करने और यूनिवर्सल कार्टन को लागू करने की मांग कब पूरी होगी।

सेब की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले कार्टन, टेप, मशीन और अन्य उपकरणों पर लगने वाले जीएसटी को समाप्त कब किया जाएगा, सेब के ए ग्रेड 80 रू ,बी ग्रेड 60 रू और सी ग्रेड 30 रू की समर्थन कब मूल्य घोषित होगा। किसान सहकारी समितियों को सीए स्टोर बनाने के लिए 90% अनुदान कान प्रदान किया जाएगा । हमारी मांग है कि निजी कंपनी द्वारा लगाए गए सीए स्टोर में बागवान को 25% हिस्से में सेब रखने के प्रावधान को तुरंत सख्ती से लागू किया जाए । बागवानी में इस्तेमाल किए जाने वाले स्प्रे मशीन, पावर टिलर और एंटी हेलमेट आदि की वर्षों से लंबित सब्सिडी को तुरंत प्रदान की जाए। आढ़तियों व खरीदारों के पास बागवानों के बकाए पैसों का भुगतान तुरंत किया जाए । बागवानों से प्रदेश में विभिन्न बैरियरो पर ली जाने वाली अवैध वसूली बंद हो।
सेब के क्रेट को बेचने पर 3 किलो की कट को बंद करने और आढ़तियों द्वारा सेब की पेटी में 2 किलो की कट को तुरंत बंद किया जाए। साथ ही बागवानों द्वारा विभिन्न बैंकों व संस्थाओं से लिए गए ऋण की माफी करने और सब्सिडी की दवाइयां उपलब्ध करवाने में सकरक युद्धस्तर पर काम करे।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक