Third Eye Today News

पुलिस विभाग और राज्य कर एवं आबकारी विभाग आमने-सामने

Spread the love

सर्वप्रथम अवैध शराब की तस्करी व बिक्री संबंधी प्रकरण जोकि सुंदर नगर में हुई 7 मौतों से आरंभ हुआ था को 72 घंटे में त्वरित रूप से समझाने के लिए पुलिस महानिदेशक तथा उनके अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई देना चाहेंगे। साथ ही यह उल्लेख करना भी उचित होगा कि आबकारी अधिनियम के अंतर्गत दो प्रकार के मुख्य अपराध आते हैं एक – अवैध (नाजायज़) शराब जो कि बिना किसी सरकारी अनुज्ञप्ति ( लाईसैंस) प्राप्त किए शराब के आयात, बनाने, ट्रांस्पोर्ट करने, भण्डारण एवं विक्री करने करने सम्बंधी अपराध हैं जिनका संज्ञान पुलिस विभाग और आबकारी एवं कराधान विभाग समान रूप से ले सकते हैं। ऐसे मामलों में सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा का विशेष महत्व रहता है क्योंकि अवैध कारोबार करने वाले माफिया के लोग स्वयं को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।


दुसरा- सरकार द्वारा आबकारी एवं कराधान विभाग के माध्यम से आबकारी राजस्व के एवज़ में अनुज्ञप्तियाँ प्रदान की जाती हैं। इन अनुज्ञप्तियों के अन्तर्गत धारक को आबकारी विभाग के अधिकारियों के आदेशों/निर्देशों का पालन करते हुए शराब/स्पिरिट का आयात, भण्डारण, रिडक्शन ब्लेंडिंग कंपाउंडिंग पैकेजिंग ,परिवहन , खुदरा एवं थोक विक्रताओं के सम्बन्धित कार्यों निर्वहन करना होता है। अनुज्ञप्ति धारक द्वारा किए गए अपराधों का संज्ञान क्षेत्र विशेष का आबकारी अधिकारी लेता है तथा क्षेत्रीय समाहर्ता द्वारा मामले का निपटारा किया जाता है यदि मामला संगीन हो तो समाहर्ता पुलिस को भी सौंप सकता है। ऐसे मामलों में सरकारी राजस्व का भी विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है । यही कारण है कि पुलिस का कोई अधिकारी यदि अनुज्ञप्ति धारक व्यापारिक संस्थान का निरीक्षण करना चाहता है तो आबकारी अधिनियम के अनुसार उसे क्षेत्रिय आबकारी अधिकारी को साथ लेना आवश्यक होता है।  पुलिस विभाग का सूचना तंत्र इस संबंध में आबकारी विभाग से कहीं ज्यादा विस्तृत है और इसी का परिणाम है कि 72 घंटों में अपराधिक घटना का पूरा निवारण किया जा सका। आबकारी विभाग अपने आबकारी अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए विभिन्न प्रावधानों नियमों आदेशों के अनुसार कार्य करता है विभाग के अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र में खुदरा बिक्री की सभी मदिरा की दुकानों का संचालन आबकारी नीति के अनुसार करते हैं। विभाग द्वारा इन सभी दुकानों की नियमित जांच की जाती है लोगों को साफ-सुथरी व उच्च गुणवत्ता की शराब मिले इसके लिए सभी अधिकारी प्रत्येक तिमाही में सभी खुदरा एवं थोक मदिरा की दुकानों से सैंपल भरकर रसायनिक परीक्षण करवाते हैं। खुदरा की दुकान में रखी प्रत्येक प्रकार की शराब की जांच की जाती है उसके मैन्युफैक्चरिंग डेट एवं बैच नंबर को भी देखा जाता है। इसके अतिरिक्त यदि दुकान में कोई अनियमितता पाई जाती है तो उसका चालान किया जाता है व नियमानुसार उस पर समाहर्ता द्वारा कार्यवाही की जाती है।अभी तक इस वित्तीय वर्ष में मदिरा की दुकानों में अनियमितताओं के कुल 129 मामले सामने आए हैं जिसमें विभाग द्वारा द्वारा 14 लाख 47 हजार 277 पर जुर्माना लगाया गया है। विभाग द्वारा थोक विक्रेताओं की दुकानों का भी निरीक्षण किया है जिसमें कुल 22 मामले पकड़े गए हैं इन मामलों मे संबंधित समाहर्ता द्वारा 8 करोड़ 48 लाख 47 हजार 685 जुर्माना लगाया गया है। विभाग द्वारा इस वित्तीय वर्ष में हिमाचल स्थित विभिन्न मदिरा निर्माण इकाइयों का निरीक्षण किया गया जिसमें 9 मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में इन मामलों में विभाग ने विभाग ने 32 लाख 27 हजार 267 रुपए वसूल किए हैं। इसके अतिरिक्त मदिरा निर्माण इकाइयों में मदिरा निर्माण इकाइयों में जो अधिकारी तैनात होते हैं वह विभाग द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार कार्य करते हैं। विभाग का अपना सूचना तंत्र भी है व सूचना मिलने पर कार्यवाही अमल में लाई जाती है। इस वर्ष विभाग ने अभी तक दो मदिरा निर्माण इकाइयों में अनियमितताएं पाए जाने के कारण उनके लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं इसके अतिरिक्त जनवरी माह में विभाग द्वारा मंडी की एक ही मदिरा निर्माण इकाई का निरीक्षण किया गया जिसमें कुछ अनियमितताएं पाई गई है। विभाग द्वारा आगामी कार्यवाही की जा रही है विभाग द्वारा समय-समय पर पुलिस अधिकारियों के साथ आबकारी अधिनियम के अंतर्गत संयुक्त कार्रवाई की जाती रही है।  अवैध शराब की बिक्री एवम निर्माण से संबंधित क्रियाकलापों को नष्ट करना व आबकारी अधिनियम का सख्ती से पालन करवाना बिना पुलिस बल के असंभव नहीं है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बहुत से राज्यों में आबकारी विभाग की अपनी पुलिस है जिससे कि अवैध कारोबारियों पर नकेल कसी जा सकती है। विभाग को कैबिनेट द्वारा सैद्धांतिक रूप से पुलिस के 100 पदों की स्वीकृति प्रदान की गई है यदि विभाग को यह जल्दी मिल जाती है तो विभाग के काम में भी तेजी आएगी और अवैध कारोबार करने वालों पर विभाग शिकंजा कस सकता है जिससे आबकारी राजस्व में बढ़ोतरी होगी ।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक