प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की सेवानिवृति के साथ ही न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश बन गए है। 9 जनवरी 1964 को रोहड़ू में जन्मे न्यायाधीश चौहान की शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई। इस दौरान स्कूल के कैप्टन भी रहे। डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से ऑनर्स के साथ स्नातक, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद वर्ष 1989 में वकील बने व लाला छबील दास वरिष्ठ अधिवक्ता के प्रख्यात चैंबर में शामिल हुए। प्रदेश हाईकोर्ट में वकालत शुरू करते हुए कानून की सभी क्षेत्रों में महारत हासिल की। राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड व राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अलावा कई बोर्डों, निगमों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक और निजी कंपनियों, शैक्षिक संस्थानों और सहकारी समितियों व विभिन्न विभागों के कानूनी सलाहकार रहे। विभिन्न लोक अदालतों के सदस्य बने। हाईडल प्रोजेक्ट्स, रोपवे, पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन, प्लास्टिक और तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध, सॉलिड वेस्ट प्रबंधन परियोजनाओं के कार्यान्वयन और हिमाचल प्रदेश में सड़क निर्माण नीति के निर्धारण से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामलों में सहयोग के लिए हाईकोर्ट द्वारा कोर्ट मित्र नियुक्त किये गये । ये 23 फरवरी 2014 को हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के बाद 30 नवंबर 2014 को हाई कोर्ट के स्थाई न्यायाधीश बनाये गए और आजतक के कार्यकाल के दौरान इन्होंने 41,600 मामलों का निपटारा कर दिया। जिनमें कई अहम व एतिहासिक निर्णय भी सुनाए गए।
इन्होंने 5 मई 2014 से हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष रहते बाल / बालिका आश्रम, हिमाचल के अस्पताल, मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वसन शिमला और हिमाचल प्रदेश के वृद्धाश्रम के बच्चों के कल्याण और हित के लिए कार्य किया। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के अलावा 21फरवरी 2020 से 23 फरवरी 2020 तक”न्यायपालिका और बदलती दुनिया” विषय पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन का हिस्सा रहे। जिसमे ये तीन उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों में से एक सदस्य थे। 13 से 17 मई, 2019 तक रोमानिया में आयोजित “बच्चों के लिए देखभाल और सुरक्षा सेवाओं के सुधार” पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण विनिमय कार्यक्रम का हिस्सा रहे। ये हाईकोर्ट से ऐसे पहले न्यायाधीश है जिन्होंने विदेशों में आयोजित किसी ऐसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया है। ये 12 नवंबर 2016 से गवर्निंग काउंसिल के और हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, शिमला की कार्यकारी परिषद के सदस्य के रहे । ये 18 नवंबर 2018 से 13 मार्च 2020 तक न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष रहे। हाईकोर्ट में कंप्यूटर और ई-कोर्ट कमेटी के प्रमुख के कारण हाईकोर्ट के साथ साथ अधीनस्थ न्यायालयों में कम्प्यूटरीकरण ने नई ऊंचाइयों को बढ़ाया। अब इन मामलों की जानकारी प्राप्त करने के अलावा अधिवक्ता / वादकर्ता विभिन्न अन्य सेवाओं तक भी पहुंच बना सकते हैं। प्रमाणित प्रति के लिए ऑनलाइन आवेदन करना, न्यायालय शुल्क का भुगतान ऑनलाइन करना, कारण-सूची का उपयोग, ई-फाइल ए केस (आईटीआर), केवल ई-गेट पास के लिए आवेदन करना जैसी सुविधा अब सम्भव हो गयी है। टाइपिंग टेस्ट सॉफ्टवेयर व स्कैन की गई फाइलों को स्टोर करने के लिए डी-स्पेस रिपॉजिटरी सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। अदालतों में उठाए गए मामलों की वर्तमान स्थिति, एसएमएस और ईमेल सुविधा के लिए डिस्प्ले बोर्ड न्यायिक अधिकारियों के साथ-साथ अधिवक्ताओं, रजिस्ट्री की शाखा में ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर के कार्यान्वयन, रिपोर्टों की पीढ़ी के लिए सतर्कता सॉफ्टवेयर, योग्यता संस्था की स्थापना, निपटान और विभिन्न श्रेणियों के मामलों की पेंडेंसी, अन्य विभागों के साथ लंबित मामलों पर नज़र रखने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है।
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