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जब सोलन में बजा सायरन तो बजने लगी फोन की घंटियां

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कभी समय का एहसास करने वाला सायरन जब 10 बजकर 59 मिनट पर बजा तो लोगों ने सोचा अचानक ऐसा क्या हुआ जो कभी सुबह 10 बजे व शाम को 5 बजे बजता था आज अचानक इस समय क्यों ? उसके ठीक 2 मिनट बाद एक बार फिर से सायरन बज उठा। फिर क्या था लोगों ने सायरन बजने का कारण जानने के लिए फोन खडखाने शुरू कर दिए।

जब लोगों को इसका कारण पता चला तो लोगों ने शीश भी नमन से झुक गए।

दरअसल आज शहीद दिवस पर उन्हे श्रदा सुमन अर्पित करने के लिए जिलाधीश ऑफिस मे कार्यक्रम रखा गया था आज उसकी लिए पहले 10 बजकर 59 मिनट पर सायरन एक मिनट के लिए बजा। जैसे ही सायरन 11 बजे बंद हुआ 2 मिनट को मौन व्रत रखा गया। जैसे ही 2 मिनट का समय हुआ 11 बजकर 2 मिनट पर फिर से सायरन बज गया व शहीदों की याद में रखे गए मौन व्रत खत्म हो गया।

दरअसल 30 जनवरी को शहीद दिवस महात्मा गांधी की याद में मनाया जाता है। भारत में शहीद दिवस 2 अलग-अलग तारीखों को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है जिन्होंने देश के लिए हंसते- हंसते अपना प्राणों का बलिदान दे दिया। 30 जनवरी को शहीद दिवस महात्मा गांधी की याद में मनाया जाता है और 23 मार्च को यह दिन भारत के तीन बहादुर क्रांतिकारियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव की याद में मनाया जाता है। 23 मार्च, 1931 को इन तीनों क्रांतिकारियों को लाहौर में फांसी दी गई थी।    

आपको बता दे कि सोलन के जवाहर पार्क में सायरन लगा हुआ है जो समय के साथ साथ एक इतिहास भी समेटे हुए है। जवाहर पार्क में सायरन पहले भी लगा हुआ था ये सायरन खराब हो गया था व बहुतसालों तक ये दुबारा नहीं लगा। पहले ये सायरन भारत-चीन युद्ध के समय 1962 में लगाया गया था। उस समय उसका मकसद युद्ध के समय लोगों को अलर्ट करने के लिए लगाया गया था। उसके बाद ये कुछ सालों टीके तो चला फिर खराब हो गया। उसके बाद उसे दुबारा पार्षद विशाल वर्मा ने लगाया जो करीब 10 वर्ष पहले लगाया गया। ये तब से ही सायरन समय का एहसास करवाता है और अब भी आपातकालीन स्थिति में इसे बजाया जाता है या फिर प्रशासन इसे कई अन्य कार्यक्रमों में इसे बजाता है। इसके लिए सोलन के विधायक व मंत्री डॉ कर्नल धनिराम शांडिल ने पैसे उपलब्ध कराये थे।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक