गंगूराम मुसाफिर व दयाल प्यारी फिर आमने-सामने, अब तो हद हो गई ……..

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राजगढ़ (पवन तोमर) दयाल प्यारी के कांग्रेस में आने से पच्छाद कांग्रेस मंडल में खलबली मच गई है । इस सियासी घमासान में दयाल प्यारी को हाशिए पर लाने में मंडल द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है । बीते 2 अक्तूबर को गांधी जंयती पर पझौता में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा एक मेले का आयोजन किया गया था । जिसमें जिला कांग्रेस अध्यक्ष अजय बहादुर सिंह ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उनके साथ पच्छाद के सात बार रह चुके पूर्व विधायक जीआर मुसाफिर तथा करनेश जंग भी शामिल थे । पझौता के लोगों द्वारा इस समारोह में दयाल प्यारी को भी आंमत्रित किया गया था । समारोह में दयाल प्यारी का आना पच्छाद कांग्रेस नेताओं को रास नहीं आया। समारोह में शामिल होने पर पच्छाद कांग्रेस द्वारा दयाल प्यारी पर  अनुशासनहीनता का आरोप लगा दिया और इस बारे मिडिया में बयान भी जारी कर दिया ।

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कांग्रेस मंडल अध्यक्ष बेलीराम शर्मा संजीव शर्मा परीक्षा चौहान, राजकुमार, आशा प्रकाश, विवेक शर्मा, संजय पाल, दिनेश आर्या, सुधीर ठाकुर, मोनी ठाकुर, रत्न हब्बी सहित अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त बयान में कहा कि दयाल प्यारी द्वारा समारोह में  अपने वरिष्ठ नेताओं का प्रोटोकोल का ध्यान  नहीं रखा गया जोकि एक गंभीर अनुशासनहीनता है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इनका कहना है कि इस बारे हाईकमान को भी अवगत करवा दिया जाएगा । मीडिया में बीते दिनों भी मुसाफिर द्वारा पच्छाद कांग्रेस में बाहरी कांग्रेसी नेताओं द्वारा दखल करने का आरोप लगाया गया था। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि दयाल प्यारी के कांग्रेस में आने से मुसाफिर अपने आप को राजनीतिक तौर पर असुरक्षित महसूस कर रहे है। इनका आरोप है कि दयाल प्यारी द्वारा अनाप शनाप नारेबाजी भी कराई गई और पच्छाद कांग्रेस को  कमजोर किया जा रहा है। दूसरी ओर दयाल प्यारी का कहना है कि उनके द्वारा समारोह में कोई अनुशासनहीनता नहीं की गई। पझौता क्षेत्र के लोगों के आमंत्रण पर वह समारोह में आई थी। पच्छाद उप चुनाव के दौरान जब मै आजाद उमीदवार चुनाव लड़ रही थी उस समय लोगो ने मेरा सहयोग दिया था इसलिए  मै वहां लोगों का धन्यवाद करने भी गई। अगर लोग मुझे खुद बुला रहे है और मै उनके आमन्त्रण पर जा रही हु तो कौनसा गुनाह कर रही हूं। लोगो ने मुसाफिर को भी बुलाया था अगर  मैं जाऊ तो अनुशासनहीनता और अगर मुसाफिर जाए तो फिर अनुशासन ये कैसी राजनीति है। मै जीआर मुसाफिर का बहुत मान सम्मान करती हूं लेकिन मेरे पार्टी में आने से मुसाफिर को बोखलाहट हो गई है।

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