कृषि क्षेत्र में प्रेरणा भूमि बनेगा हिमाचल: आर्लेकर

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राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश तेजी से प्राकृतिक कृषि राज्य बनने की ओर अग्रसर है। इसलिए, देवभूमि को देश के अन्य राज्यों के लिए ‘प्रेरणा भूमि’ होना चाहिए और इसे देशभर के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के लिए प्राकृतिक कृषि के मामले में प्रमुख केंद्र की भूमिका निभानी चाहिए।
राज्यपाल आज सोलन स्थित डॉ यशवन्त सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय 12वें द्विवार्षिक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र सम्मेलन के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था हमेशा से कृषि पर आधारित रही है। लेकिन, दुर्भाग्यवश इस अर्थव्यवस्था की दिशा विदेशी मॉडलों पर बनने लगी। विषय की सोच हममें थी वह बदलने लगी और इस सोच को बदलने की जिम्मेवारी जिन संस्थानों पर थी, उनकी सोच भी पश्चिम देशों से ही प्रभावित रही। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों से इस सोच मेें परिवर्तन आने लगा है और यही सोच अब कृषि क्षेत्र में भी बदलाव ला रही है।
आर्लेकर ने कहा कि जब से हमने पश्चिमी देशों की सोच को अपनाया, कृषि क्षेत्र में जमीन की उत्पादकता तेजी से घटी है। इसका समाधान हमारी परम्परागत कृषि में है। हम कभी भी प्रकृति के विरूद्ध नहीं रहे हैं। भारतीय जीवन पद्धति प्रकृति से जुड़ी थी और प्रकृति कृषि से जुड़ी थी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जबसे इस कृषि पद्धति को अपनाया है इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। इसका विस्तार तेजी से हो रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों ने उन्हें अपने अनुभव बताए हैं। इस पद्धति को अपनाने से 27 प्रतिशत लागत कम आती है और लगभग 56 प्रतिशत उत्पादन ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि इस कृषि पद्धति को वैज्ञानिक सफल बना सकते हैं जिससे प्रधानमंत्री की किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प भी पूरा होगा।
कार्यक्रम को वर्चुअल संबोधित करते हुए केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री  पुरूषोतम रूपाला ने कहा कि कृषि क्षेत्र में तकनीकी विस्तार में कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि नैनो टैक्नोलॉजी को किसानों तक पहुंचाने में ये केंद्र सहायक सिद्ध हो सकते हैं। नैनो यूरिया को इन केंद्रों के माध्यम से प्रचारित किया जा सकता है ताकि विदेशों से इसे आयात करने की आवश्यकता न पड़े। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक को भी हम कृषि विस्तार केंद्र के माध्यम से प्रदर्शित कर सकते हैं।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी ने इस अवसर पर कहा कि कृषि को बढावा देने और किसानों की आये को दोगुना करने के लिए सरकार प्रभावी पग उठा रही है। उन्होंने कहा कि किसान प्राकृतिक कृषि को अपनाने के लिए उत्साहित हैं। यह कृषि पद्धति किसानी छोड़ रहे युवाओं को भी वापस लाने में सहायक सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के संकल्प से ही यह कृषि पद्धति भी सफल होगी। उन्हांेने कहा कि हमें किसानों को रसायनिक खेती से बाहर निकालना है और प्राकृतिक कृषि को देश मेें प्रचारित करना है।
आई.सी.आर. के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि आई.सी.आर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा मेें तेजी से अग्रसर है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में आज आयात कम हुआ है और उत्पादकता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि विज्ञान केेंद्र कार्य कर रहे हैं। तकनीकी के बेहतर उपयोग से हम इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य की सुरक्षा के लिए ‘टिकाऊ खेती’ की जानी चाहिए।
डॉ यशवन्त सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा प्राकृतिक कृषि से संबंधित किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की जानकारी दी।
आई.सी.ए.आर. के उप-महानिदेषक ‘विस्तार शिक्षा’ प्रो. ए.के. सिंह ने राज्यपाल तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। आई.सी.ए.आर. के ए.डी.जी. डॉ. वी.पी. चाहल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, आई.सी.आर के पदाधिकारी, सोलन की उपायुक्त श्रीमती कृतिका कुल्हारी, पुलिस अधीक्षक श्री वीरेंद्र शर्मा, कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार शिक्षा निदेशक , कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुख वैज्ञानिक तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक