कुवैत (Kuwait) के नेशनल असेंबली की लीगल एंड लेजिस्लेटिव कमिटी ने विदेशी नागरिकों की संख्या घटाने वाले विधेयक को मंजूर कर लिया। इस विधेयक से कुवैत में रह रहे करीब आठ लाख भारतीयों पर देश छोड़ने का संकट खड़ा हो गया है। नए नियम के मुताबिक किसी भी देश के नागरिक कुवैत की आबादी का 15 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते हैं। दरअसल, कुवैत में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं। यहाँ 14 लाख से अधिक भारतीय हैं। नए नियम के मुताबिक, अब यहां 15 फीसदी से ज्यादा भारतीय नहीं रह सकते हैं। यानि तकरीबन 8 लाख भारतीयों को कुवैत छोड़ना होगा। ऐसा नहीं है कि यह विधेयक सिर्फ भारतीयों के लिए ही है, इसमें अन्य विदेशी नागरिकों को भी शामिल किया गया है। विधेयक में मिस्र के लोगों की आबादी को भी कुल आबादी का 10 प्रतिशत ही करने का प्रावधान किया गया है।
कुवैत भारत में विदेशों से भेजे जाने वाले धन का एक शीर्ष स्रोत भी है। साल 2018 में वहां काम करने वाले भारतीयों ने करीब 4.8 बिलियन डॉलर राशि भारत भेजी थी। इसने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी है। विधेयक लाने का दूसरा मुख्य कारण यह भी है कि वहां के नागरिक अपने ही देश में अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। वर्तमान में कुवैत की कुल 48 लाख आबादी में से 30 लाख आबादी प्रवासियों की है।
कुवैत में प्रवासियों को बढ़ती संख्या को देखते हुए हाल ही में प्रधानमंत्री शेख सबाह अल खालिद अल सबाह ने देश में रहने वाले प्रवासियों की संख्या को कुल आबादी के 70 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने करने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद से इसकी मुहिम तेज हो गई थी। कुवैत सरकार अब प्रवासी बहुसंख्यक देश नहीं रहना चाहती है। इसके अलावा कोरोना महामारी और तेल की लगातार घटती कीमतें भी बड़े कारण हैं।
We’ve built a community of people enthused by positive news, eager to participate with each other, and dedicated to the enrichment and inspiration of all. We are creating a shift in the public’s paradigm of what news should be.