एक ही परिवार की 5 चिताओं से गमगीन हुआ कुल्लू,कुदरत ने मासूमों को भी नहीं बख्शा
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मानसून की आपदाओं के जख्म हरे ही थे। इसी बीच एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आ गई। यह दुखद दास्तान है, निरमंड के शमारनी गांव में रहने वाले शिवराम के परिवार की है। जो रात के गहरे अंधेरे में मौत के आगोश में समा गया।
रात के करीब 1:30 बजे थे। पूरा गांव गहरी नींद में सोया था। शिवराम का परिवार भी अपने घर में चैन की नींद सो रहा था, बेखबर कि प्रकृति का रौद्र रूप उन पर कहर बनकर टूटने वाला है। अचानक, एक जोरदार गड़गड़ाहट की आवाज के साथ पहाड़ी से भूस्खलन का मलबा मौत बनकर उनके घर पर गिरा। मलबा इतना भयानक था कि उसने घर की छत को उखाड़ दिया और अंदर सो रहे पांच सदस्यों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। शिवराम ने इस हादसे में अपनी पत्नी (उम्र 60), बेटा (उम्र 35), बहू (उम्र 33), मासूम पोता (उम्र 13) और पोती (उम्र 11) को खो दिया।
हादसे की खबर मिलते ही पंचायत के प्रधान तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने जो नजारा देखा, वह भयावह था। चारों तरफ मलबा फैला था और उस मलबे में बेसुध पड़े थे एक ही परिवार के सदस्य। जान का जोखिम होने के बावजूद, ग्रामीणों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू कर दिया। अपनी जान की परवाह न करते हुए आठ सदस्यों में से तीन को किसी तरह बाहर निकाला, जिनमें शिवराम और उनकी पत्नी कला देवी भी शामिल थे। लेकिन जब बच्चों के निर्जीव शरीर मलबे से बाहर आए, तो वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं।
इस हादसे में घायल हुई कला देवी ने उस भयानक रात का मंजर याद करते हुए बताया कि भूस्खलन के वक्त सब सो रहे थे। उनके पति धर्मदास ने पहले उन्हें उठाया, लेकिन उसी समय एक पत्थर उनके सिर पर लगा। जब वे बाहर निकले, तो देखा कि घर की छत उड़ चुकी थी और चारों तरफ मलबा ही मलबा था। ग्रामीणों की मदद से घायल हुए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
मंगलवार सुबह होने पर प्रशासन, पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। घंटों तक चले बचाव अभियान के बाद सुबह 11:40 बजे मलबे से आखिरी शव को निकाला गया। एक ही परिवार के पांच शवों को एक साथ देखकर गांव में हर आंख नम थी। शमारनी गांव में मंगलवार को एक साथ पांच चिताएं जलीं। इस मंजर ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया है। आज भी गांव का हर घर उस परिवार की यादों से गूंज रहा है। लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते हुए बस यही कह रहे हैं कि काश यह हादसा न हुआ होता।