असम और मिजोरम सीमा विवाद ब्रिटिश शासन से चला आ रहा, जानिए- अब तक की पूरी दास्‍तां

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बीते माह की 26 तारीख को हुई हिंसक झड़प के बाद असम-मिजोरम के बीच का सीमा विवाद शांत पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। असम सरकार ने दावा किया है कि उनके नागरिकों को मिजोरम के लोग धमका रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए नागरिकों को पड़ोसी राज्य में न जाने की सलाह दी गई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा का कहना है कि उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक वे मिजोरम की यात्र न करें। उन्होंने कहा कि मिजोरम के लोगों के पास एके-47 और स्नाइपर राइफलें हैं। मिजोरम सरकार को अपने नागरिकों से इन हथियारों को जब्त करना चाहिए।

असम-मिजोरम की सीमा पर हाल में हुई हिंसक झड़प के बाद भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती। फाइल

दूसरी तरफ सीमा विवाद के चलते मिजोरम पुलिस ने असम के चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और दो प्रशासनिक अधिकारियों समेत करीब 200 अज्ञात पुलिसकíमयों के खिलाफ कोलासिब जिले के वैरेंगटे पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया है। इस तरह के मामलों से स्थिति सुधरने की उम्मीद का आकलन किया जा सकता है। मिजोरम के पुलिस महानिरीक्षक जान नेहलिया का कहना है कि इन सभी पर हत्या की कोशिश और आपराधिक साजिश समेत कई आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है। जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है उनमें असम पुलिस के आइजी अनुराग अग्रवाल, डीआइजी देवज्योति मुखर्जी, कछार के एसपी चंद्रकांत निंबालकर, कछार उपायुक्त कीíत जल्ली आदि प्रमुख हैं। मिजोरम में असम के मुख्यमंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने से दोनों राज्यों के बीच एक बार विवाद फिर बढ़ गया है।

असम और मिजोरम के मध्य सीमा पर बीते 26 जुलाई को अचानक हुआ विवाद उग्र होकर खूनी खेल में बदल गया था। इस खूनी खेल में दोनों राज्यों की पुलिस और नागरिकों के बीच लाठी-डंडे चले और गोलीबारी भी हुई। यह घटना असम के कछार जिले की सीमा पर हुई। इस तनावपूर्ण स्थिति से पहले असम राइफल्स ने 22 जून को दो व्यक्तियों को पकड़ा और म्यांमार से तस्करी कर लाए जा रहे युद्ध संबंधी सामग्री का एक बड़ा जखीरा बरामद किया। 26 जुलाई की घटना के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए तथा एक-दूसरे के पुलिस बल को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। इतना किए जाने के बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से अविलंब हस्तक्षेप का अनुरोध किया। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने असम की पुलिस पर लाठीचार्ज करने तथा आंसू गैस के गोले छोड़े जाने के आरोप लगाए। वहीं असम की पुलिस ने यह बताया कि मिजोरम की तरफ से भारी संख्या में आए बदमाशों ने पथराव करते हुए अधिकारियों पर भी हमले किए।

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दरअसल असम और मिजोरम की सीमा का विवाद काफी पुराना मसला है। इसे सुलझाने के लिए अनेक बार प्रयास किए गए, लेकिन सारे प्रयास असफल ही साबित हुए। मालूम हो कि मिजोरम के तीन जिले आइजोल, कोलासिब और मामित की 164.6 किमी की सीमा असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों से लगती है। मिजोरम का आरोप है कि असम ने उसके कोलासिब जिले के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया है। वहीं असम के लोगों का कहना है कि मिजोरम ने उसके हैलाकांडी जिले में 10 किमी अंदर तक निर्माण कार्य कर लिया है और वहां केले आदि की खेती करते हैं।

असम तथा मिजोरम का सीमा विवाद ब्रिटिश शासन के समय से चला आ रहा है। उस समय मिजोरम को असम का लुशाई हिल्स कहा जाता था। वर्ष 1950 में असम राज्य बन गया। उस समय असम में आज के अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और नगालैंड आते थे। बाद में असम से ये अलग हो गए, लेकिन कुछ बातों को लेकर इनके सीमा विवाद जारी रहे। नार्थ ईस्टर्न एरिया री-आर्गनाइजेशन एक्ट 1971 के तहत असम से अलग कर त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय को राज्यों का दर्जा प्रदान कर दिया गया। वर्ष 1987 में मिजोरम को भी अलग राज्य बना दिया गया। यह निर्णय मिजो आदिवासियों और केंद्र सरकार के बीच हुए समझौते के तहत था और इसका आधार 1933 का नोटिफिकेशन था, लेकिन मिजो आदिवासियों का कहना है कि उन्होंने 1875 वाले नोटिफिकेशन को स्वीकार किया है। इसके बाद से विवाद बढ़ता गया।

30 जून 1986 को मिजोरम के नेताओं ने मिजो समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें ही सीमा तय की गई है। परंतु इस मसले पर विवाद अभी भी बना हुआ है। ताजा हिंसा से पहले गत वर्ष अक्टूबर माह में भी दो बार इन राज्यों की सीमा पर आगजनी तथा हिंसा की घटनाएं हुईं थीं। नौ अक्टूबर 2020 को मिजोरम के दो लोगों को आग लगाई गई थी। इसके अलावा कुछ झोपड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि असम और मिजोरम की सीमा आज भी काल्पनिक है और नदियों, पहाड़ों, घाटियों एवं जंगलों के कारण बदलती रहती है। पिछले कुछ वर्षो में यह समस्या और बढ़ गई है। इसके अलावा असम के सीमावर्ती इलाकों के अधिकांश निवासी बंगाली या मुस्लिम हैं।

अब सवाल यह है कि वर्तमान में हमारा देश कई बाहरी सुरक्षा चुनौतियों से लड़ रहा है, ऐसे में यदि उसे आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से जूझना पड़ा तो यह एक नई समस्या होगी। इसलिए ऐसी समस्याओं का स्थायी समाधान खोजना होगा। असम-मिजोरम सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है। वर्ष 1995 में इस इलाके में एक निर्जन पट्टी बनाने का सुझाव दिया गया था, तब भी मिजोरम के लोगों ने इसे मानने से इन्कार कर दिया था। उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्र सरकार की पहल पर उचित तालमेल बिठाकर इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा, अन्यथा आंतरिक सुरक्षा की ये समस्याएं देश के लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत कर सकती हैं।

Vishal Verma

20 वर्षों के अनुभव के बाद एक सपना अपना नाम अपना काम । कभी पीटीसी चैनल से शुरू किया काम, मोबाईल से text message के जरिये खबर भेजना उसके बाद प्रिंट मीडिया में काम करना। कभी उतार-चड़ाव के दौर फिर खबरें अभी तक तो कभी सूर्या चैनल के साथ काम करना। अभी भी उसके लिए काम करना लेकिन अपने साथियों के साथ third eye today की शुरुआत जिसमें जो सही लगे वो लिखना कोई दवाब नहीं जो सही वो दर्शकों तक